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टैली में TDS एंट्री कैसे करें | Tally Me TDS Ki Entry Kaise Kare

टैली में TDS एंट्री कैसे करें | Tally Me TDS Ki Entry Kaise Kare-feature image
2 जून 2025 2 Min पढ़ें

आज के समय में हर व्यवसाय को टैक्स की सही जानकारी और रिकॉर्ड रखना जरूरी है। TDS (Tax Deducted at Source) एक ऐसा टैक्स है, जो किसी भी पेमेंट पर पहले ही काट लिया जाता है। 

टैली सॉफ्टवेयर में TDS की एंट्री करना हर अकाउंटेंट और बिजनेस ओनर के लिए जरूरी है। इस ब्लॉग में हम टैली में TDS एंट्री को बेहद आसान और सरल हिंदी में, स्टेप-बाय-स्टेप समझेंगे।

TDS क्या है? | TDS Kya Hai

TDS (Tax Deducted at Source) एक ऐसा टैक्स सिस्टम है जिसमें किसी को भुगतान करने से पहले ही टैक्स काट लिया जाता है और सरकार को जमा कर दिया जाता है। इसका उद्देश्य यह है कि टैक्स समय पर और सही तरीके से सरकार तक पहुँचे।

उदाहरण के तौर पर, अगर आप किसी को ₹50,000 की प्रोफेशनल फीस दे रहे हैं और TDS 10% है, तो आप ₹5,000 सरकार को टैक्स के रूप में जमा करेंगे और ₹45,000 उस व्यक्ति को देंगे।

TDS आमतौर पर वेतन, बैंक ब्याज, किराया, कमीशन, कॉन्ट्रैक्ट पेमेंट आदि पर काटा जाता है। यह आयकर विभाग के तहत काम करता है।

आज के डिजिटल युग में, TDS Software जैसे Tally की मदद से TDS की कटौती, रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग को आसान और सटीक बनाया जा सकता है। यह सॉफ्टवेयर कंपनियों को नियमों के अनुसार TDS प्रबंधन में मदद करता है।

हर व्यक्ति या कंपनी जिसे TDS काटना है, उसे समय पर इसे सरकार को जमा करना होता है। इससे टैक्स चोरी रुकती है और टैक्स वसूली की प्रक्रिया आसान बनती है।

विभिन्न भुगतानों पर TDS कटौती की दरें – TDS Rate Chart in Hindi

भुगतान का प्रकारTDS दरधारा (Section)
प्रोफेशनल फीस10%194J
कॉन्ट्रैक्ट पेमेंट1% या 2%194C
किराया (भूमि/बिल्डिंग)10%194I
कमीशन या ब्रोकरेज5%194H

टैली में TDS क्यों जरूरी है?

टैली में TDS (Tax Deducted at Source) का सही से प्रबंधन और रिकॉर्ड रखना इसलिए जरूरी है क्योंकि:

  1. सरकारी नियमों का पालन: TDS कटौती और जमा करना कानूनन जरूरी है, और टैली में इसे सही से रिकॉर्ड करना कंपनी को टैक्स नियमों का पालन करने में मदद करता है।
  2. सही टैक्स भुगतान: टैली में TDS की जानकारी से यह सुनिश्चित होता है कि आपने सही मात्रा में टैक्स काटा और जमा किया है।
  3. रिपोर्टिंग आसान होती है: टैली में TDS की पूरी डिटेल उपलब्ध होती है, जिससे जीएसटी और आयकर रिटर्न भरना आसान हो जाता है।
  4. लेन-देन की पारदर्शिता: TDS रिकॉर्ड होने से भुगतान और टैक्स कटौती में पारदर्शिता बनी रहती है।
  5. बकाया टैक्स से बचाव: सही TDS रिकॉर्ड से टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस या पेनल्टी से बचा जा सकता है।
  6. वित्तीय रिपोर्टिंग में मदद: TDS की जानकारी से कंपनी की वित्तीय स्थिति स्पष्ट होती है और MIS रिपोर्टिंग सटीक बनती है।
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टैली में TDS एक्टिवेट कैसे करें? | How to Activate TDS in Tally in Hindi

टैली में TDS एक्टिवेट करने के आसान स्टेप्स:

  1. टैली खोलें और अपनी कंपनी चुनें।
  2. Gateway of Tally में जाएं।
  3. F11: Features दबाएं।
  4. Accounting Features चुनें।
  5. Maintain Tax Deducted at Source (TDS) के सामने Yes चुनें।
  6. जरूरत हो तो Enable TDS for Payroll को भी Yes करें।
  7. Enter दबाकर सेटिंग्स सेव करें।

और जाने: Tally में GST बिल कैसे बनाएं

टैली में TDS के लिए जरूरी लेजर कैसे बनाएं?

1. TDS Nature of Payment बनाएं

  • Gateway of Tally > Accounts Info > Statutory Info > TDS Nature of Payments > Create
  • यहाँ उस पेमेंट का नाम डालें, जिस पर TDS कटेगा (जैसे Contractor Payment, Professional Fees)।
  • Income Tax Section और TDS रेट सिलेक्ट करें।

2. खर्च (Expense) लेजर बनाएं

  • Gateway of Tally > Accounts Info > Ledgers > Create
  • नाम दें जैसे Professional Fees।
  • Under: Direct Expenses या Indirect Expenses चुनें।
  • Is TDS Applicable: Yes करें।
  • Nature of Payment: ऊपर बनाए गए TDS Nature of Payment सेलेक्ट करें।

3. TDS लेजर बनाएं

  • Gateway of Tally > Accounts Info > Ledgers > Create
  • नाम दें जैसे TDS on Professional Fees।
  • Under: Duties & Taxes।
  • Type of Duty/Tax: TDS चुनें।
  • Nature of Payment: उपयुक्त विकल्प चुनें।

4. पार्टी (Creditor) लेजर बनाएं

  • Gateway of Tally > Accounts Info > Ledgers > Create
  • नाम दें जैसे XYZ Consultant।
  • Under: Sundry Creditors।
  • Is TDS Deductable: Yes करें।
  • Deductee Type: Individual/HUF या Company आदि चुनें।
  • Deduct TDS in Same Voucher: Yes करें।

और जाने: टैली में वाउचर के बारे में

टैली में TDS एंट्री कैसे करें? | How to do TDS Entry in Tally in Hindi

मान लीजिए आपने किसी कंसल्टेंट को ₹10,000 की प्रोफेशनल फीस देनी है, जिसमें 10% TDS कटेगा यानी ₹1,000। इसलिए कंसल्टेंट को ₹9,000 भुगतान करना है।

स्टेप 1: जर्नल वाउचर बनाएं

  • Gateway of Tally → Accounting Vouchers → F7 (Journal Voucher) चुनें।
  • दिनांक डालें।

स्टेप 2: एंट्री करें

अकाउंट (Ledger)डेबिट (Dr)क्रेडिट (Cr)
Professional Fees (Expense)₹10,000
XYZ Consultant (Party Ledger)₹9,000
TDS on Professional Fees (TDS)₹1,000

स्टेप 3: एंट्री सेव करें

  • एंट्री चेक करके सेव करें।

TDS पेमेंट की एंट्री कैसे करें?

आपने किसी कंसल्टेंट की प्रोफेशनल फीस पर ₹1,000 TDS काटा था, अब आप उसे सरकार को जमा कर रहे हैं।

स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस:

1. वाउचर टाइप खोलें:

  • Gateway of Tally → Accounting Vouchers → F5: Payment

पेमेंट वाउचर में एंट्री करें:

लेज़र का नामप्रकारराशि
TDS on Professional Fees (TDS Ledger)Dr₹1,000
Bank Account (जैसे – HDFC Bank)Cr₹1,000

2. सेटिंग्स की पुष्टि करें:

  • टैली आपसे पूछेगा: Is this a TDS Payment? → Yes करें
  • Type of Payment: में Regular चुनें (या जो भी उपयुक्त हो)

3. सेव करें:

  • एंट्री चेक करके Enter दबाकर सेव कर दें।

टैली में TDS रिपोर्ट कैसे देखें?

  1. Gateway of Tally पर जाएं
  2. Display
  3. Statutory Reports
  4. TDS Reports

यहाँ आपको ये रिपोर्ट्स मिलेंगी:

  • Deductee-wise Report: किस पार्टी से कितना TDS काटा गया
  • Nature-wise Report: किस प्रकार की पेमेंट (जैसे Professional Fees, Contractor आदि) पर TDS काटा गया
  • Pending TDS: जो TDS अभी तक जमा नहीं किया गया
  • Challan Details: जमा किए गए TDS की जानकारी
  • TDS Computation: किस लेज़र/पेमेंट पर कितनी TDS बनती है

TDS एंट्री में आम गलतियाँ

TDS एंट्री में अकाउंटिंग करते समय कई आम गलतियाँ हो सकती हैं, जो बाद में रिटर्न फाइलिंग, ऑडिट या सरकारी नोटिस का कारण बन सकती हैं। नीचे कुछ प्रमुख गलतियाँ दी गई हैं:

  1. गलत लेज़र से TDS एंट्री करना: सही प्रकार का TDS लेज़र (जैसे TDS on Professional Fees) न चुनना।
  2. Deductee की जानकारी अधूरी होना: पार्टी लेज़र में PAN, Deductee Type, और Is TDS Deductible को सही से सेट नहीं करना।
  3. TDS दर (Rate) गलत लगाना: निर्धारित सेक्शन के अनुसार सही TDS दर न लगाना (जैसे 10% की जगह 5%)।
  4. TDS का भुगतान गलत लेज़र से करना: TDS जमा करते समय बैंक और TDS लेज़र में गड़बड़ी करना।
  5. एक ही वाउचर में TDS नहीं काटना: अलग-अलग वाउचर में TDS काटने से रिपोर्टिंग में गड़बड़ी हो सकती है।
  6. TDS वाउचर में Nature of Payment नहीं चुनना: जिससे टैली TDS की गणना सही तरीके से नहीं कर पाता।
  7. TDS भुगतान की एंट्री भूल जाना: TDS काटने के बाद सरकार को जमा करने की एंट्री न करना।
  8. गलत TDS रिपोर्ट जनरेट होना: गलत सेटअप के कारण TDS रिपोर्ट (जैसे 26Q) अधूरी या गलत बन जाती है।
  9. एक्सपेंस लेज़र में TDS को Applicable नहीं करना: जिससे टैली ऑटोमेटिक TDS सजेशन नहीं देता।
  10. Form 16A/26Q में गलतियाँ: एंट्री की गड़बड़ी से रिटर्न में गलत रिकॉर्ड चला जाता है।

TDS से जुड़े जरूरी पॉइंट्स

  1. TDS का पूरा नाम: Tax Deducted at Source
  2. TDS क्यों काटा जाता है?: टैक्स पहले ही स्रोत पर सरकार को मिल जाए, इसलिए।
  3. कौन काटता है TDS?: भुगतान करने वाला (Deductor)।
  4. किस पर काटा जाता है?: प्रोफेशनल फीस, कॉन्ट्रैक्ट, किराया, ब्याज आदि पर।
  5. TDS की दर (Rate): अलग-अलग सेक्शन के हिसाब से तय होती है (जैसे 10%, 5% आदि)।
  6. TAN नंबर जरूरी है: TDS काटने वाले को TAN (Tax Deduction Account Number) लेना जरूरी है।
  7. समय पर जमा जरूरी: TDS काटने के बाद अगले महीने की 7 तारीख तक जमा करना होता है।
  8. TDS रिटर्न फाइलिंग: प्रत्येक तिमाही के अंत में TDS रिटर्न फाइल करना जरूरी है।
  9. फॉर्म 26Q और 24Q: नॉन-सैलरी TDS के लिए 26Q, और सैलरी TDS के लिए 24Q।
  10. Challan 281: TDS जमा करने के लिए ऑनलाइन या बैंक में Challan 281 इस्तेमाल होता है।
  11. टैली में TDS फीचर: टैली में TDS को एक्टिवेट करके आसानी से एंट्री और रिपोर्ट बनाई जा सकती है।
  12. TDS प्रमाणपत्र (Form 16/16A): डिडक्टी को प्रमाणपत्र देना होता है।
  13. पेनल्टी लग सकती है: TDS ना काटने या समय पर जमा ना करने पर पेनल्टी और ब्याज लगता है।
  14. TDS क्रेडिट 26AS में दिखता है: जिसे इनकम टैक्स रिटर्न में क्लेम किया जा सकता है।
  15. सही लेजर बनाना जरूरी है: टैली में अलग-अलग लेजर जैसे TDS Ledger, Expense Ledger, Party Ledger आदि सही बनाना जरूरी होता है।

निष्कर्ष

टैली में TDS की एंट्री करना हर व्यवसाय के लिए जरूरी है। अगर आप ऊपर दिए गए स्टेप्स को फॉलो करेंगे, तो TDS की एंट्री, रिपोर्टिंग और रिटर्न फाइलिंग आपके लिए बहुत आसान हो जाएगी। हमेशा ध्यान रखें कि लेजर सही बनाएं, PAN और TAN नंबर सही डालें, और समय पर TDS जमा करें। इससे आपका बिजनेस टैक्स नियमों का पालन करेगा और ऑडिट में भी कोई परेशानी नहीं होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  • TDS कब-कब काटा जाता है?

    जब आप किसी को प्रोफेशनल फीस, किराया, ब्याज, कॉन्ट्रैक्ट आदि के लिए भुगतान करते हैं और वह राशि लिमिट से ऊपर हो।

  • TDS की दर (Rate) कैसे तय होती है?

    TDS की दर आयकर विभाग द्वारा तय की जाती है और यह पेमेंट के प्रकार और सेक्शन पर निर्भर करती है।

  • TDS जमा करने की अंतिम तारीख क्या होती है?

    हर महीने की 7 तारीख तक TDS को सरकार को जमा करना होता है।

  • TDS जमा करने के लिए कौन-सा चालान उपयोग होता है?

    TDS जमा करने के लिए Challan No./ITNS 281 का उपयोग किया जाता है।

  • TDS रिटर्न की ड्यू डेट क्या है?

    हर तिमाही के 31 दिन (या 30/15 depending on Qtr) के भीतर फाइल करना होता है।

  • क्या TDS ना काटने पर पेनल्टी लगती है?

    हाँ, समय पर TDS ना काटने या ना जमा करने पर ब्याज और जुर्माना लगता है।

  • TDS काटने के लिए TAN जरूरी है क्या?

    हाँ, TDS काटने के लिए TAN (Tax Deduction Account Number) होना अनिवार्य है।

  • TDS कैसे चेक करें कि किसी ने काटा है या नहीं?

    Form 26AS या नई AIS रिपोर्ट में जाकर देख सकते हैं।

  • TDS सर्टिफिकेट कौन-सा होता है?

    TDS सर्टिफिकेट का नाम है Form 16 (सैलरी) और Form 16A (अन्य भुगतान)।

Shobhit Kalra द्वारा लिखित

शोभित कालरा के पास डिजिटल न्यूज़ मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग और हेल्थटेक सहित विभिन्न उद्योगों में 12 वर्षों का प्रभावशाली अनुभव है। लोगों के लिए लिखना और प्रभावशाली कंटेंट बनाने का एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड रहा है जो पाठकों को पसंद आता है। टेकजॉकी के साथ उनकी यात्रा में,... और पढ़ें

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