टैली में बैंक रिकॉन्सिलिएशन कैसे करें – Bank Reconciliation in Tally in Hindi

बैंक रिकॉन्सिलिएशन (Bank Reconciliation) अकाउंटिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे हम अपने बुक्स और बैंक स्टेटमेंट के बीच के अंतर को समझ सकते हैं और सही कर सकते हैं।
टैली में यह प्रक्रिया बहुत आसान है, जिससे व्यापारी और अकाउंटेंट्स अपने बैंक ट्रांजैक्शन को आसानी से मिलान कर सकते हैं।
इस ब्लॉग में हम टैली में बैंक रिकॉन्सिलिएशन की पूरी प्रक्रिया, उसके फायदे, स्टेप-बाय-स्टेप गाइड, और जरूरी टिप्स को विस्तार से समझेंगे।
बैंक रिकॉन्सिलिएशन क्या है? – Bank Reconciliation in Hindi
बैंक रिकॉन्सिलिएशन का मतलब है, आपके अकाउंट बुक्स (Ledger) और बैंक द्वारा भेजे गए स्टेटमेंट के बीच के अंतर को मिलाना और समझना।
कई बार ऐसा होता है कि बुक्स में दिखाई गई राशि और बैंक स्टेटमेंट में दिखाई गई राशि में फर्क होता है। इसका कारण हो सकता है – चेक क्लियरेंस में देरी, बैंक चार्जेज, डायरेक्ट डिपॉजिट, या किसी एंट्री की गलती।

और जाने: Tally में Debit और Credit Note Entry कैसे करें
बैंक रिकॉन्सिलिएशन क्यों जरूरी है?
बैंक रीकन्सिलिएशन के कुछ मुख्य कारण हैं:
- गलतियों को पकड़ना: कभी-कभी बैंक या हमसे गलती से डुप्लिकेट एंट्री, मिसिंग एंट्री, या गलत अमाउंट की एंट्री हो जाती है।
- बैंक चार्जेज और इंटरेस्ट: बैंक समय-समय पर सर्विस चार्ज या ब्याज (interest) लगाता है, जो हम भूल सकते हैं।
- चेक क्लियरेंस में देरी: चेक कभी-कभी देर से क्लियर होते हैं, जिससे टैली और बैंक स्टेटमेंट का बैलेंस अलग हो जाता है।
- फ्रॉड से बचाव: अगर कोई गलत ट्रांजैक्शन हो तो जल्दी पकड़ में आ जाता है।
- सही बैलेंस जानना: बिज़नेस में सही बैंक बैलेंस पता होना बेहद जरूरी है ताकि फाइनेंशियल प्लानिंग सही हो।

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टैली में बैंक रिकॉन्सिलिएशन के तरीके | Methods of Bank Reconciliation in Tally in Hindi
टैली में बैंक रीकन्सिलिएशन (Bank Reconciliation) दो तरीकों से किया जा सकता है:


क. मैन्युअल बैंक रीकन्सिलिएशन – Manual Bank Reconciliation in Hindi
यह सबसे पुराना और सामान्य तरीका है। इसमें आप खुद बैंक स्टेटमेंट देखकर हर ट्रांजैक्शन की क्लियरेंस डेट टैली में डालते हैं।
कैसे करें:
- Gateway of Tally → Banking → Bank Reconciliation पर जाएं।
- जिस बैंक अकाउंट का रीकन्सिलिएशन करना है, उसे सिलेक्ट करें।
- टैली आपके सभी बैंक से जुड़े वाउचर दिखाएगा।
- हर वाउचर के सामने एक कॉलम होगा — Bank Date।
- बैंक स्टेटमेंट देखकर उस दिन की तारीख डालें जिस दिन ट्रांजैक्शन बैंक में क्लियर हुआ।
- सभी एंट्री पूरी हो जाने पर Difference Zero हो जाएगा।
ख. ऑटो बैंक रीकन्सिलिएशन – Auto Bank Reconciliation in Hindi
यह टैली प्राइम में उपलब्ध आधुनिक और तेज़ तरीका है। इसमें आप बैंक स्टेटमेंट को टैली में इम्पोर्ट करते हैं और टैली खुद-ब-खुद एंट्री को मैच कर देता है।
कैसे करें:
- अपने बैंक की नेट बैंकिंग से बैंक स्टेटमेंट डाउनलोड करें।
(Format — .csv, .xml आदि)
- Gateway of Tally → Banking → Bank Reconciliation पर जाएं।
- Import Bank Statement का विकल्प चुनें।
- डाउनलोड किया हुआ स्टेटमेंट अपलोड करें।
- टैली जितने ट्रांजैक्शन मैच कर सकता है, कर लेगा।
- बचे हुए ट्रांजैक्शन को आप मैन्युअली मैच कर सकते हैं।
और जाने: टैली में स्टॉक ग्रुप क्या है?
टैली में बैंक रिकॉन्सिलिएशन कैसे करें? – Bank Reconciliation in Tally Steps in Hindi
स्टेप 1: टैली ओपन करें और कंपनी सिलेक्ट करें
- सबसे पहले टैली ओपन करें।
- फिर जिस कंपनी का बैंक रीकॉन्सिलिएशन करना है, उसे सिलेक्ट करें।
स्टेप 2: बैंक लेजर बनाएं या सिलेक्ट करें
- Gateway of Tally → Accounts Info → Ledgers → Create / Alter
- अगर बैंक लेजर पहले से बना हुआ है तो Alter करें।
- अगर नया बनाना है तो Create करें और नीचे की जानकारी भरें:
- Ledger Name: बैंक का नाम (जैसे HDFC Bank A/c)
- Under Group: Bank Accounts
- बाकी डिटेल जैसे अकाउंट नंबर, IFSC आदि भरें।
- Ledger Name: बैंक का नाम (जैसे HDFC Bank A/c)




स्टेप 3: बैंक रीकॉन्सिलिएशन स्क्रीन पर जाएं
- Gateway of Tally → Banking → Bank Reconciliation
- या फिर बैंक लेजर खोलें और “Reconcile” पर क्लिक करें।
- शॉर्टकट: Alt + G दबाएं → “Bank Reconciliation” टाइप करें → Enter दबाएं।
स्टेप 4: रीकॉन्सिलिएशन प्रोसेस शुरू करें
- बैंक स्टेटमेंट सामने रखें।
- हर ट्रांजैक्शन के सामने बैंक में क्लियर होने की तारीख (Bank Date) भरें।
- जो ट्रांजैक्शन बैंक स्टेटमेंट में नहीं दिख रहा हो, उसे फिलहाल छोड़ दें।


स्टेप 5: रिपोर्ट सेव और प्रिंट करें
- रीकॉन्सिलिएशन स्टेटमेंट देखने के बाद Alt + P दबाकर प्रिंट करें।
- या ऊपर दिए गए Print बटन पर क्लिक करें।
- आप इसे PDF में भी सेव कर सकते हैं।
बैंक रिकॉन्सिलिएशन के फायदे | Benefits of Bank Reconciliation in Hindi


- बुक्स और बैंक के बीच हर अंतर की पहचान होती है: बैंक रीकॉन्सिलिएशन से यह पता चलता है कि टैली में रिकॉर्ड किया गया बैलेंस और बैंक स्टेटमेंट में दिखने वाला बैलेंस एक जैसा है या नहीं। अगर कोई फर्क है तो तुरंत पकड़ में आ जाता है।
- मिसिंग या डुप्लिकेट एंट्री का पता चलता है: कई बार कुछ खर्च, बैंक चार्ज, ब्याज, रिटर्न चेक आदि की एंट्री छुट जाती है या डबल एंट्री हो जाती है।
- फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स में पारदर्शिता बनी रहती है: जब बैंक रीकॉन्सिलिएशन नियमित रूप से किया जाता है तो अकाउंटिंग क्लीन और ट्रांसपेरेंट रहती है। इससे बिजनेस की सही वित्तीय स्थिति सामने आती है।
- ऑडिटिंग में आसानी होती है: ऑडिटर के लिए सभी ट्रांजैक्शन आसानी से मिल जाते हैं। इससे ऑडिट जल्दी और बिना दिक्कत के पूरा हो जाता है।
- कैश फ्लो की सही जानकारी मिलती है: बैंक रीकॉन्सिलिएशन करने से पता चलता है कि बैंक में असल में कितना बैलेंस है। इससे बिजनेस अपने कैश फ्लो को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकता है।
ऑटो बैंक रिकॉन्सिलिएशन कैसे करें? | Auto Bank Reconciliation Kaise Kare
1: बैंक स्टेटमेंट डाउनलोड करें
- सबसे पहले अपने बैंक की इंटरनेट बैंकिंग पर लॉगिन करें।
- वहाँ से बैंक स्टेटमेंट डाउनलोड करें।
- फॉर्मेट में ध्यान दें — टैली में ज़्यादातर .CSV या .XML फॉर्मेट को सपोर्ट करता है।
- यदि टैली प्राइम यूज कर रहे हैं तो वहाँ बैंक वाइज सपोर्टेड फॉर्मेट भी दिखते हैं।
2: टैली में जाएं और कंपनी सिलेक्ट करें
- टैली ओपन करें।
- उस कंपनी को सिलेक्ट करें जिसमें रीकॉन्सिलिएशन करना है।
3: बैंक रीकॉन्सिलिएशन स्क्रीन पर जाएं
- Gateway of Tally → Banking → Bank Reconciliation
- या फिर Alt + G दबाकर “Bank Reconciliation” टाइप करें और Enter करें।
4: संबंधित बैंक लेजर को चुनें
- स्क्रीन पर बैंक के सारे लेजर दिखेंगे।
- उस बैंक अकाउंट को चुनें जिसमें रीकॉन्सिलिएशन करना है।
5: बैंक स्टेटमेंट इम्पोर्ट करें
- रीकॉन्सिलिएशन स्क्रीन पर ऊपर या नीचे की साइड में “Import Bank Statement” का ऑप्शन दिखेगा।
- उस पर क्लिक करें।
- डाउनलोड किया हुआ .CSV या .XML फाइल सेलेक्ट करें।
- टैली फाइल को प्रोसेस करेगा और ऑटोमैटिकली जितने ट्रांजैक्शन मैच होंगे, उन्हें मैच कर देगा।
6: शेष एंट्रीज को मैन्युअली मैच करें
- कुछ ट्रांजैक्शन जो ऑटोमैच नहीं हो पाते, उन्हें आप मैन्युअली बैंक डेट डालकर मैच कर सकते हैं।
7: रीकॉन्सिलिएशन स्टेटमेंट सेव और प्रिंट करें
- जब डिफरेंस जीरो हो जाए तो Alt + P दबाकर स्टेटमेंट को प्रिंट करें या PDF में सेव करें।
और जाने: टैली में इनवॉइस फ़ॉर्मेटिंग कैसे करें
बैंक रिकॉन्सिलिएशन में आम गलतियाँ | Common Mistakes in Bank Reconciliation in Hindi


1. गलत बैंक डेट डालना
- बैंक स्टेटमेंट में दी गई क्लियरेंस डेट के बजाय वाउचर डेट या कोई और तारीख डाल देना।
सही तरीका: बैंक स्टेटमेंट देखकर ही Bank Date भरें।
2. मिसिंग एंट्री करना भूल जाना
- बैंक चार्ज, ब्याज, पेनल्टी, डेबिट कार्ड खर्च जैसी एंट्री भूल जाना।
सही तरीका: हर लाइन आइटम को मिलाकर Missing Entries डालें।
3. डुप्लिकेट एंट्री कर देना
- कभी-कभी गलती से एक ही ट्रांजैक्शन दो बार एंटर कर देते हैं।
सही तरीका: ट्रांजैक्शन हिस्ट्री चेक करें।
4. चेक क्लियरेंस में गलतियां
- चेक जारी करने की डेट और क्लियरेंस डेट को गड़बड़ करना।
सही तरीका: बैंक डेट में केवल क्लियरेंस डेट भरें।
5. बैंक स्टेटमेंट से गलत अमाउंट लेना
- पार्ट पेमेन्ट, टैक्स कटौती या चार्जेज को समायोजित किए बिना अमाउंट भर देना।
सही तरीका: नेट अमाउंट (जो बैंक स्टेटमेंट में आया/गया है) भरें।
6. बैंक स्टेटमेंट का फॉर्मेट गलत इम्पोर्ट करना (Auto Reconciliation में)
- गलत या इनकरेक्ट फॉर्मेट (.csv/.xml) अपलोड करना जिससे ऑटोमैचिंग फेल हो जाती है।
सही तरीका: बैंक का सही इम्पोर्ट फॉर्मेट डाउनलोड करें।
7. रिकॉन्सिलिएशन के बाद वाउचर एडिट करना
- रीकन्सिलिएशन पूरा करने के बाद यदि वाउचर को एडिट करें तो दोबारा डिफरेंस आ जाता है।
सही तरीका: रीकन्सिलिएशन के बाद वाउचर्स में बदलाव सोच-समझकर करें।
8. हर महीने रीकॉन्सिलिएशन न करना
- लंबे समय बाद रीकॉन्सिलिएशन करने से एंट्रीज ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
सही तरीका: हर महीने नियमित रीकॉन्सिलिएशन करें।
9. बैंक ब्रांच को गलत चुन लेना
- यदि एक से ज्यादा अकाउंट हैं तो कभी-कभी गलत ब्रांच या अकाउंट चुन लेते हैं।
सही तरीका: लेजर बनाते समय सही बैंक अकाउंट और ब्रांच ध्यान से चुनें।
10. टैली और बैंक में टाइमिंग डिफरेंस को नजरअंदाज करना
- चेक इश्यू और क्लियरेंस के बीच समय का फर्क समझे बिना ही एंट्री करना।
सही तरीका: टैली में हमेशा बैंक क्लियरेंस डेट डालें।



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बैंक रिकॉन्सिलिएशन स्टेटमेंट का फॉर्मेट
तारीख | विवरण | वाउचर नंबर | डेबिट | क्रेडिट | बैंक डेट | स्थिति |
---|---|---|---|---|---|---|
01/06/25 | ABC Ltd. | 101 | 10,000 | – | 02/06/25 | क्लियर |
03/06/25 | XYZ Pvt. | 102 | – | 5,000 | 03/06/25 | क्लियर |
निष्कर्ष
टैली में बैंक रिकॉन्सिलिएशन एक जरूरी प्रक्रिया है, जिससे आप अपने फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स को सही और अपडेटेड रख सकते हैं। मैन्युअल और ऑटो दोनों तरीके उपलब्ध हैं, जिससे हर यूजर अपनी सुविधा अनुसार प्रोसेस कर सकता है। हर महीने बैंक रिकॉन्सिलिएशन जरूर करें, ताकि कोई गलती या मिसिंग एंट्री न रहे।
टैली में बैंक रिकॉन्सिलिएशन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बैंक डेट क्या होती है?
बैंक डेट वह तारीख होती है जिस दिन वह ट्रांजैक्शन बैंक में क्लियर हुआ। इसे बैंक स्टेटमेंट से देखकर टैली में भरना होता है।
बैंक रीकॉन्सिलिएशन हर कितने समय पर करना चाहिए?
हर महीने करना सबसे अच्छा होता है ताकि समय पर गलतियां पकड़ में आ जाएं।
ऑटो बैंक रीकॉन्सिलिएशन क्या है?
टैली प्राइम में आप बैंक स्टेटमेंट (CSV फॉर्मेट) इम्पोर्ट कर सकते हैं। इससे टैली ऑटोमैटिकली ट्रांजैक्शन मैच कर देता है और मैन्युअल काम कम हो जाता है।
क्या बैंक रीकॉन्सिलिएशन के बाद उसमें बदलाव किया जा सकता है?
हाँ, जब तक आप चाहें बैंक डेट में बदलाव कर सकते हैं। लेकिन ऑडिट के बाद बदलाव से पहले सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए।
टैली में बैंक रीकॉन्सिलिएशन के लिए शॉर्टकट क्या है?
Alt + G दबाएं, “Bank Reconciliation” टाइप करें और Enter दबाएं।
बैंक स्टेटमेंट इम्पोर्ट करते समय किस फॉर्मेट की जरूरत होती है?
अधिकतर बैंक .CSV या .XML फॉर्मेट सपोर्ट करते हैं, जिसे आप टैली में इम्पोर्ट कर सकते हैं।
क्या हर बैंक के लिए ऑटो रीकॉन्सिलिएशन संभव है?
नहीं। कुछ बैंकों के साथ टैली का डायरेक्ट इंटीग्रेशन होता है। अन्य बैंकों के लिए मैन्युअल इम्पोर्ट करना पड़ सकता है।
क्या बैंक रीकॉन्सिलिएशन रिपोर्ट को प्रिंट कर सकते हैं?
हाँ, Alt + P दबाकर रिपोर्ट को प्रिंट या PDF में सेव किया जा सकता है।
शोभित कालरा के पास डिजिटल न्यूज़ मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग और हेल्थटेक सहित विभिन्न उद्योगों में 12 वर्षों का प्रभावशाली अनुभव है। लोगों के लिए लिखना और प्रभावशाली कंटेंट बनाने का एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड रहा है जो पाठकों को पसंद आता है। टेकजॉकी के साथ उनकी यात्रा में,... और पढ़ें
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