आजकल टेक्नोलॉजी बहुत एडवांस हो गई है। लोगों ने अपनी सुविधाओं के लिए बहुत से साधन जुटा रखे हैं। इन्ही में से एक है वाईफाई। आमतौर पर अधिकांश घरों में वाईफाई जरूर लगा होता है। ये अब सभी के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। मगर आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जोकि वाईफाई का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन उन्हें इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। इसलिए ये जानना सबके लिए बहुत जरूरी है कि आखिर वाईफाई क्या होता है?
वाईफाई का पूरा नाम वायरलेस फिडेलिटी होता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इससे आप अपनी किसी भी डिवाइस को बिना तार के कनेक्ट कर सकते हैं। यह एक ऐसी वायरलेस डिवाइस है, जिसके जरिए आप अपने लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल फोन या स्मार्ट टीवी को आसानी से इंटरनेट से जोड़ सकते हैं।
वाईफाई राउटर के जरिए सिग्नल हवा में भेजे जाते हैं, और आपका मोबाइल या लैपटॉप इन्हें कैच करता है। जब आपके डिवाइस में ये सिग्नल आ जाते हैं, तो आप इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं। वाईफाई के सिग्नल ठीक वैसे ही काम करते हैं, जैसे मोबाइल में नेटवर्क सिग्नल काम करते हैं।
चूंकि वाईफाई में इंटरनेट कनेक्ट करने के लिए तार की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए आप इसे घर भर में कहीं भी घूमते हुए इस्तेमाल कर सकते हैं।
वायरलेस नेटवर्क चार तरीके के होते हैं, जिनका नाम वायरलेस LAN, वायरलेस MAN, वायरलेस PAN और वायरलेस WAN है। हर प्रकार अपनी सीमा और कनेक्टिविटी जरूरतों के आधार पर यूनिक है और इसका इस्तेमाल खास एप्लीकेशन्स और मामलों के लिए किया जाता है। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में सबकुछ:
WLAN को व्यापक रूप से सबसे लोकप्रिय नेटवर्क के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल कमर्शियल या रेजिडेंशियल एप्लीकेशन्स के लिए किया जाता है। इसे सरल भाषा में समझा जाए तो लोकल एरिया नेटवर्क का इस्तेमाल घर, ऑफिस या फिर किसी छोटे से इलाके को कवर करने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य मकसद है कि इससे जुड़ी डिवाइस के बीच संसाधनों, डेटा और सेवाओं को साझा किया जा सके।
मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क उस नेटवर्क को कहा जाता है जोकि किसी शहर या बड़े भौगोलिक क्षेत्र में उपकरणों को एक-दूसरे से जोड़ता है। ये लोकल एरिया नेटवर्क से बड़ा होता है और वाइड एरिया नेटवर्क से छोटा होता है, जिसका इस्तेमाल ज्यादातर बड़ी कंपनियों, सरकारी दफ्तरों या फिर स्थानीय टेलीफोन कंपनियों में होता है।
इस प्रकार के वायरलेस नेटवर्क को बहुत छोटे कवरेज क्षेत्र, जैसे कि एक कमरे, में न्यूनतम संख्या में डिवाइस को जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका इस्तेमाल मेडिकल डिवाइस के लिए भी किया जाता है। वायरलेस पैन को उन एप्लीकेशन्स के लिए प्राथमिकता दी जाती है जिन्हें कम बिजली की खपत और केवल कम दूरी की कनेक्टिविटी की जरूरत होती है।
ये एक लॉन्ग रेंज वायरलेस नेटवर्क ऑप्शन होता है, जिसका इस्तेमाल एक बहुत बड़े क्षेत्र को कवर करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर वायरलेस वाइड एरिया नेटवर्क का इस्तेमाल सेलुलर नेटवर्क या सैटलाइट कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है।
वाईफाई स्टैंडर्ड्स प्रोटोकॉल का एक सेट होते हैं, जोकि ये तय करते हैं कि वायरलेस डिवाइस रेडियो फ्रीक्वेंसी पर कैसे कम्यूनिकेट करते हैं। ये मानक सिग्नल मॉड्यूलेशन, फ्रीक्वेंसी यूसेज, डेटा ट्रांसमिशन दर, सुरक्षा प्रोटोकॉल और कंपैटिबिलिटी आवश्यकताओं सहित वायरलेस कम्युनिकेशन के हर तकनीकी पहलू को नियंत्रित करते हैं।
वाईफाई स्टैंडर्ड्स को इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (आईईईई) द्वारा 802.11 प्रोटोकॉल के तहत परिभाषित किया गया है। ये मानक तय करते हैं कि वायरलेस डिवाइस कैसे कम्यूनिकेट करते हैं और इंटरनेट से कैसे जुड़ते हैं।
इन मानकों की वृद्धि से स्पीड और रेंज के साथ विश्वसनीयता में जरूरी सुधार हुए हैं। तरह-तरह के वाईफाई स्टैंडर्ड्स को समझने से आपको अपने घर या ऑफिस में नेटवर्क सेटअप के बारे में निर्णय लेने में काफी मदद मिलती है। तो चलिए जानते हैं विभिन्न वाईफाई मानकों के बारे में।
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साल 1997 से अब वाईफाई स्टैंडर्ड्स में कई बदलाव आ चुके हैं और भविष्य में इसमें और ज्यादा बदलाव आएंगे। हर मानक के अपने फायदे और नुकसान हैं, लेकिन यूजर्स की बदलती जरूरतों के अनुसार इसमें कई अपग्रेड आना बाकी हैं।
ये मानक न केवल यह बताते हैं कि डेटा कैसे प्रसारित किया जाता है, बल्कि ये हमारे रोजमर्रा जीवन में काम करने और एक-दूसरे से जुड़ने के तरीकों को भी प्रभावित करते हैं।
हर नए स्टैंडर्ड के साथ वाईफाई की स्पीड बढ़ती जा रही है, और ये हमारी डिजिटल दुनिया की बढ़ती मांगों को संभालने में ज्यादा सक्षम हो रहे हैं।
वाईफाई की कोई फिक्स कीमत नहीं होती है। हमेशा इस बात को ध्यान में रखें कि वाईफाई की कीमत कनेक्शन की स्पीड पर निर्भर करती है। इसके अलावा वाईफाई कनेक्शन देने वाली हर कंपनी के चार्ज इलाके के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। इसलिए आप अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी वाईफाई प्लान ले सकते हैं।
वाईफाई की कनेक्टिविटी हमेशा नेटवर्क सेटअप पर निर्भर करती है। हालांकि, आमतौर पर एक नॉर्मल वाईफाई राउटर घर के अंदर लगभग 150 फीट (46 मीटर) और बाहर 300 फीट (92 मीटर) का कवरेज देता है। मगर ये रेंज दीवारों, दरवाजों और अन्य बाधाओं जैसे कारकों से प्रभावित हो सकती है, जो सिग्नल की पहुंच को कम कर सकती है।
इंटरनेट एक ग्लोबल नेटवर्क है जो मोबाइल या लैपटॉप जैसी डिवाइस के बीच कम्युनिकेशन और जानकारी शेयर करने की सुविधा देता है। दूसरी ओर, वाई-फाई एक वायरलेस नेटवर्किंग तकनीक है जो उपकरणों को लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) या इंटरनेट से वायरलेस तरीके से कनेक्ट करने की इजाजत देती है।
वैसे तो वाईफाई को वायरलेस फिडेलिटी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इसे वायरलेस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के नाम से भी जाना जाता है। ये एक वायरलेस कनेक्शन स्टैंडर्ड होता है।
अगर आप तेज इंटरनेट का अनुभव करना चाहते हैं तो फाइबर इंटरनेट को आमतौर पर सबसे अच्छा ऑप्शन माना जाता है। फाइबर ऑप्टिक केबल का इस्तेमाल करके फाइबर इंटरनेट, केबल, फिक्स्ड वायरलेस जैसे अन्य प्रकारों की तुलना में काफी तेज स्पीड और ज्यादा विश्वसनीय कनेक्टिविटी देता है।
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