तेजी से बदलते समय में खुद को अपडेटेड रखना भी एक बड़ा टास्क है। यहां एक ओर हर चीज ऑनलाइन होती जा रही है तो वहीं साइबर अटैक्स भी उतनी तेजी से बढ़ रहे हैं। वैसे तो लोगों का समय बचाने के लिए चीजें ऑनलाइन की जाती हैं, लेकिन ये बहुत जरूरी है कि ग्राहकों को साइबर हमलों के बारे में भी जानकारी हो। इसलिए यहां DoS और DDoS अटैक के बारे में बात की गई है।
DoS अटैक का अर्थ है डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक। ये एक ऐसा अटैक होता है जोकि किसी भी सर्वर, सर्विस या नेटवर्क पर ढेर सारा ट्रैफिक लाकर इसे अनुपलब्ध बना देता है। इसकी वजह से वेबसाइट या रिसोर्स धीमा हो जाता है और यूजर के लिए ये एक्सेसिबल नहीं होता है।
DoS अटैक वेबसाइट या रिसोर्स को अनरिस्पांसिव बना देता है। डिनायल-ऑफ-सर्विस का मकसद यूजर को किसी सर्विस पर एक्सेस करने से रोकना होता है।
हैकर्स डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक के इस्तेमाल से किसी भी सर्वर, सर्विस या नेटवर्क को यूजर्स के लिए अनुपलब्ध कर देते हैं। डिनायल-ऑफ-सर्विस से किसी भी नेटवर्क को ऑवरलोड किया जा सकता है।
आमतौर पर DoS अटैक बैंकिंग, बड़ी ई-कॉमर्स और मीडिया कंपनियों या सरकार और बड़े व्यापारों जैसे संगठनों के हाई-प्रोफाइल वेब सर्वर को निशाना बनाते हैं। हालांकि, इसकी वजह से जरूरी जानकारी या किसी तरह का अन्य नुकसान नहीं होता है, लेकिन इसके कारण यूजर्स का बहुत समय और पैसा खर्च हो सकता है।
DoS अटैक को सरल भाषा में समझा जाए तो इसमें हैकर्स आमतौर पर एक ही सिस्टम से हमला करते हैं। इस साइबर अटैक को किसी सर्वर के प्रदर्शन को खराब करने या उसकी उपलब्धता को बाधित करने के लिए किया जाता है।
DoS अटैक का मुख्य फोकस टारगेट मशीन की क्षमता को ऑवरसैचुरेटे करना है, जिससे अतिरिक्त अनुरोधों को सर्विस से वंचित कर दिया जाता है। आमतौर पर डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक को दो केटेगरी में बांटा गया है।
इस प्रकार के अटैक में मेमोरी बफर ऑवरफ्लो के कारण मशीन सभी उपलब्ध हार्ड डिस्क स्पेस, मेमोरी या सीपीयू टाइम का उपभोग कर सकती है। इसकी वजह से सिस्टम क्रैश हो सकता है या फिर सर्वर सुस्त हो सकता है।
फ्लड अटैक एक ऐसा साइबर अटैक होता है, जहां नेटवर्क या सिस्टम पर बहुत सारा ट्रैफिक या रिक्वेस्ट भेजी जाती हैं, जिसकी वजह से वो क्रैश या धीमा हो जाता है। UDP, ICMP और SYN इसके बेहतरीन उदाहरण हैं। फ्लड अटैक का लक्ष्य संसाधनों को समाप्त करना, नॉर्मल सर्विस को बाधित करना या सिस्टम को यूजर्स के लिए अनुपलब्ध बनाना है।
डिनायल-ऑफ-सर्विस अटै कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें समझना बहुत जरूरी है। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में:
इस तरह के अटैक में हैकर्स किसी नेटवर्क या सर्वर को बहुत सारे डेटा के साथ भर देते हैं, जिससे इसकी बैंडविड्थ खत्म हो जाती है और नेटवर्क अनुपयोगी हो जाता है। UDP फ्लड और ICMP फ्लड वॉल्यूम बेस्ड अटैक के बेहतरीन उदाहरण हैं। UDP फ्लड में हैकर्स एक सर्वर पर रैंडम पोर्ट पर कई यूडीपी पैकेट भेजते हैं, जिससे सर्वर इन सभी अनुरोधों को संभालने में व्यस्त हो जाता है। इसकी वजह से वैध ट्रैफ़िक को धीमा या बंद हो जाता है।
प्रोटोकॉल अटैक सर्वर संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए नेटवर्क प्रोटोकॉल में मौजूद खामियों का फायदा उठाते हैं। उदाहरण के तौर पर SYN फ्लड और Ping of Death को लिया जा सकता है। SYN फ्लड की बात जाए तो इसमें हैकर्स एक सर्वर पर कई SYN अनुरोध भेजते हैं लेकिन हैंडशेक पूरा नहीं करते हैं, जिसकी वजह से सर्वर आधे-खुले कनेक्शन के साथ वहीं अटक जाता है। पिंग ऑफ डेथ में टारगेट सर्वर को क्रैश या बाधित करने के लिए बड़े आकार के पैकेट को भेजा जाता है।
एप्लीकेशन लेयर अटैक किसी खास एप्लीकेशन या सर्विस को ही टारगेट करता है। HTTP फ्लड और स्लोलोरिस इसके बेहतरीन उदहारण हैं। HTTP फ्लड में हैकर्स वेब सर्वर के संसाधनों का उपभोग करते हुए उसे कई HTTP अनुरोध भेजते हैं। वहीं, स्लोलोरिस की बात करें तो ये आधे-अधूरे HTTP अनुरोध भेजकर सर्वर से कई कनेक्शन खुले रखता है, जिससे सर्वर को नए और वैध अनुरोधों को संभालने से रोका जा सके।
डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल-ऑफ सर्विस अटैक कई सारे सिस्टम (जिन्हें बॉटनेट भी कहा जाता है) का इस्तेमाल करके एक सिंगल टारगेट पर अटैक करते हैं। एम्पलीफिकेशन और बॉटनेट-बेस्ड अटैक इसके उदाहरण हैं।
एम्पलीफिकेशन अटैक में हैकर्स एक छोटे से सवाल को भेजने के लिए DNS जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इससे एक बड़ी प्रतिक्रिया पैदा होती है, जिससे यूजर के पास डेटा भर जाता है। वहीं, बॉटनेट कई स्रोतों से ट्रैफिक को अटैक करता है, जिससे बचना कठिन हो जाता है।
ये तब होता है जब हैकर बार-बार किसी संसाधन तक पहुंच का अनुरोध करता है और आखिरकार वेब एप्लिकेशन को ऑवरलोड कर देता है। ऐसी स्थिति में एप्लिकेशन धीमा हो जाता है और आखिर में क्रैश हो जाता है। इस स्थिति में यूजर वेबपेज तक पहुंच पाने में असमर्थ होता है।
इस तरह के अटैक में हैकर्स थर्ड-पार्टी सर्वर को पीड़ित के आईपी एड्रेस से रिक्वेस्ट भेजते हैं। DNS रिफ्लेक्टशन और NTP रिफ्लेक्टशन रेफ्लेक्टिव अटैक के प्रकार हैं।
DNS रिफ्लेक्टशन अटैक में हैकर्स पीड़ित के आईपी एड्रेस से डीएनएस सर्वर को रिक्वेस्ट भेजते हैं, जिसकी वजह से डीएनएस सर्वर पीड़ित को प्रतिक्रियाओं से भर देता है। वहीं, एनटीपी रिफ्लेक्टशन भी कुछ इसी तरीके से काम करता है, लेकिन अटैक को बढ़ाने के लिए ये नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल सर्वर का इस्तेमाल करता है।
DoS अटैक क्लाउड संसाधनों पर अक्सर हाइपरवाइजर और क्रिप्टो-जैकिंग पर केंद्रित होते हैं। इसमें हाइपरविजर DoS अटैक और हाइपरकॉल अटैक होते हैं। हाइपरविजर DoS अटैक में जहां एक ओर पूरा क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर अनुपलब्ध हो जाता है, जिससे सर्विसेज और यूजर्स प्रभावित होते हैं। वहीं, दूसरी ओर हाइपरकॉल अटैक में वर्चुअल मशीन अनुत्तरदायी हो सकती है, जिससे सर्विस में रुकावट पैदा हो सकती है।
DoS अटैक से यूजर्स को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इस अटैक से यूजर्स कैसे प्रभावित हो सकते हैं, इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है। तो चलिए जानते हैं इससे होने वाले नुकसान के बारे में।
DoS (Denial of Service) अटैक से बचने के लिए और इससे होने वाले जोखिमों से सुरक्षित रहने के लिए नेटवर्क और सिस्टम की सुरक्षा को मजबूत करना बहुत जरूरी है। DoS अटैक की रणनीति में नेटवर्क, एप्लिकेशन और सर्वर दोनों स्तरों पर सुरक्षा उपायों को लागू करना होता है। तो आइए जानते हैं, DoS अटैक को रोकने के लिए कौन से प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं।
DoS अटैक से बचने के लिए DDoS (Distributed Denial of Service) प्रोटेक्शन सॉल्यूशंस का इस्तेमाल करें। ये प्रोटेक्शन सेवाएं आपकी वेबसाइट और नेटवर्क को सुरक्षा प्रदान करती हैं, और वास्तविक समय में अटैक को पहचानने और उसे कम करने की क्षमता रखती हैं। इसके माध्यम से ट्रैफ़िक को फिल्टर किया जा सकता है और असामान्य पैटर्न को तुरंत पहचाना जा सकता है।
सुरक्षा पैच और सॉफ़्टवेयर अपडेट्स को नियमित रूप से लागू करना आवश्यक है, क्योंकि पुराने पैच और सॉफ़्टवेयर खामियां छोड़ सकते हैं, जिन्हें हमलावर exploit कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करें कि आपके सिस्टम पर सभी सुरक्षा अपडेट्स लागू किए गए हैं ताकि DoS अटैक को आसान बनाने वाली किसी भी कमजोरी का लाभ न उठाया जा सके।
मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) का उपयोग करके आप अपनी प्रणाली को अधिक सुरक्षित बना सकते हैं। यह अतिरिक्त सुरक्षा परत प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ता ही सिस्टम तक पहुँच सकें। DoS हमले का लक्ष्य अक्सर वेबसाइट या नेटवर्क के लिए ट्रैफ़िक में वृद्धि करना होता है, इसलिए MFA से केवल वैध यूजर्स को पहुँच मिलती है और अनधिकृत एक्सेस को रोका जा सकता है।
नेटवर्क ट्रैफ़िक की निरंतर निगरानी से आपको असामान्य ट्रैफ़िक पैटर्न का समय पर पता चलता है, जो DoS अटैक का संकेत हो सकते हैं। यह उपाय आपको ट्रैफ़िक के पैटर्न का विश्लेषण करने की अनुमति देता है, जिससे आप अटैक के संकेतों का तुरंत पता लगा सकते हैं और सक्रिय रूप से कार्रवाई कर सकते हैं।
वेब एप्लिकेशन फ़ायरवॉल (WAF) एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण है जो आपकी वेबसाइट और एप्लिकेशन को असामान्य ट्रैफ़िक और हमलों से सुरक्षित रखता है। WAF से आप DoS अटैक के दौरान ट्रैफ़िक को फिल्टर करने, अनधिकृत अनुरोधों को रोकने और बॉट्स के हमलों से बचने में मदद पा सकते हैं।
लोड बैलेंसिंग तकनीकों का इस्तेमाल करने से सर्वर पर ट्रैफ़िक समान रूप से वितरित होता है, जिससे किसी एक सर्वर पर अधिक लोड नहीं पड़ता। यह DoS हमले के दौरान वेबसाइट या एप्लिकेशन के डाउन होने की संभावना को कम करता है और सिस्टम की उपलब्धता बनाए रखता है।
DNS (Domain Name System) सिस्टम को सुरक्षित रखना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि DoS हमलावर अक्सर DNS सर्वरों को लक्षित करते हैं। DNSSEC (Domain Name System Security Extensions) को लागू करने से DNS से जुड़े हमलों को कम किया जा सकता है और वेबसाइट की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है।
ट्रैफ़िक रेट लिमिटिंग एक प्रभावी उपाय है जिससे आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कोई भी उपयोगकर्ता या डिवाइस एक निश्चित समय में केवल सीमित मात्रा में अनुरोध भेजे। यह किसी भी संदिग्ध ट्रैफ़िक को रोकने में मदद करता है और DoS अटैक की संभावना को कम करता है। यह आपके नेटवर्क को अधिक स्थिर और सुरक्षित बनाए रखता है।
DoS हमले के दौरान बॉट्स का उपयोग किया जा सकता है, जो बड़े पैमाने पर ट्रैफ़िक भेजते हैं। इन बॉट्स को पहचानने के लिए कैप्चा और बॉट डिटेक्शन सिस्टम का उपयोग करना एक अच्छा उपाय है। यह सुनिश्चित करता है कि केवल वास्तविक उपयोगकर्ता ही आपकी वेबसाइट तक पहुंच सकते हैं और बॉट्स को फिल्टर किया जा सकता है।
DoS अटैक से बचाव के लिए एक तैयार आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना तैयार रखना जरूरी है। योजना में शामिल करें कि हमले के समय किसे सूचित किया जाएगा, क्या कदम उठाए जाएंगे, और ट्रैफ़िक को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय लागू किए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि हमले के दौरान आपकी टीम त्वरित और समन्वित तरीके से प्रतिक्रिया कर सके।
DoS अटैक से बचने के लिए सुरक्षा उपायों का पालन करना और नेटवर्क के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना बेहद महत्वपूर्ण है। उपरोक्त तरीकों को अपनाकर आप DoS हमलों से अपनी वेबसाइट और नेटवर्क को सुरक्षित रख सकते हैं। सही रणनीतियों और प्रोटेक्शन टूल्स के साथ, आप अपने सिस्टम को इस तरह के हमलों से बचाने में सफल हो सकते हैं।
DoS और DDoS अटैक में अंतर | ||
---|---|---|
विशेषता | DoS अटैक | DDoS अटैक |
हमला करने वाले की संख्या | सिंगल सिस्टम या हमलावर | कई सिस्टम |
हमला का स्रोत | एक स्रोत | अनेक स्रोत |
हमला कैसे किया जाता है | एक ही कंप्यूटर से ट्रैफिक भेजकर | कई कंप्यूटर्स या डिवाइस से एकसाथ ट्रैफिक भेजकर |
पहचान करना | आसान | कठिन |
प्रभाव | सीमित | अधिक गंभीर और व्यापक |
रोकथाम | आसानी से काबू पाया जा सकता है | इसे काबू करना काफी कठिन होता है |
लागत | कम | अधिक |
सामान्य उद्देश्य | सिस्टम को अस्थायी रूप से बाधित करना | सिस्टम को पूरी तरह से ठप कर देना |
DDoS अटैक को डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल-ऑफ सर्विस अटैक कहा जाता है और ये DoS अटैक का एक प्रकार होता है। इस तरह के अटैक में हैकर्स वेबसाइट, सर्वर या फिर किसी भी ऑनलाइन सर्विस को बहुत सारे ट्रैफिक के जरिये अनुपलब्ध यानी की अनअवेलेबल बना देते हैं।
DoS अटैक में जहां एक ही सोर्स से सर्वर या वेबसाइट पर हमला किया जाता है, जबकि DDoS अटैक में विभिन्न स्थानों पर फैले कई कंप्यूटरों का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर ये कंप्यूटर मैलवेयर से संक्रमित होते हैं और कंप्यूटर ओनर को बिना पता चले हैकर द्वारा नियंत्रित होते हैं।
इसे एक उदाहरण के जरिये समझते हैं। मान लीजिए कि किसी एक शॉपिंग स्टोर की एकबार में सिर्फ 50 कस्टमर को हैंडल करने की कूबत है, लेकिन अगर अचानक से वहां 500 कस्टमर पहुंच जाएं तो इससे स्टोर भीड़ से भर जाएगा और फिर जिन कस्टमर को सही में यहां से सामान खरीदना है, वो यहां एंट्री नहीं कर पाएंगे और न ही अपने लिए कोई सामान ले पाएंगे। ठीक इसी तरह DDoS अटैक भी काम करता है।
DDoS अटैक में हैकर्स किसी वेबसाइट या सर्वर पर जब बहुत ज्यादा ट्रैफ़िक भर देते हैं, तो इसकी वजह से वह धीमी या क्रैश हो जाती है। हैकर्स इसके लिए एक ही समय में टारगेट को भारी मात्रा में रिक्वेस्ट भेजने के लिए अक्सर मैलवेयर से संक्रमित कई कंप्यूटर्स का इस्तेमाल करते हैं।
DDoS अटैक के लिए हैकर्स जिस मैलवेयर का इस्तेमाल करते हैं उसे बॉटनेट कहा जाता है। DDoS अटैक को सफल बनाने के लिए बॉटनेट प्राथमिक तरीका है।
हैकर कंप्यूट को हैक करेगा और एक कोड या मैलवेयर इंस्टॉल करेगा, जिसे बॉट कहा जाता है। संक्रमित कंप्यूटर मिलकर एक नेटवर्क बनाते हैं जिसे बॉटनेट कहा जाता है।
इसके बाद हैकर बॉटनेट को निर्देश देता है कि वह पीड़ित के सर्वर या वेबसाइट को उनकी क्षमता से अधिक कनेक्शन रिक्वेस्ट से भर दे। DDoS अटैक कुछ मिनटों या कुछ दिनों तक भी चल सकते हैं। ऐसे में डाउनटाइम और वित्तीय हानि के कारण यूजर्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
DDoS (Distributed Denial of Service) अटैक को रोकना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि इसमें ट्रैफ़िक एकसाथ कई स्थानों से आता है, जिससे असली यूजर्स को प्रभावित किए बिना केवल खराब ट्रैफ़िक को पहचानना और रोकना मुश्किल हो जाता है।
यह हमला वेबसाइट या नेटवर्क सर्विसेज को अस्थायी रूप से बंद कर सकता है, जिससे व्यवसायों के लिए गंभीर नुकसान हो सकता है। हालांकि DDoS अटैक से बचाव पूर्णतः संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपाय हैं जो इसकी संभावना को कम कर सकते हैं और हमले के दौरान प्रभावी प्रतिक्रिया की योजना बनाई जा सकती है।
DDoS हमले के लक्षण जैसे धीमी लोडिंग, नेटवर्क में अचानक वृद्धि, और वेबसाइट का डाउन होना कोई सामान्य घटना नहीं होती। इन संकेतों को पहचानकर आपको तुरंत एक्शन लेने की आवश्यकता है। इसलिए, कंपनियों को DDoS हमले की संभावना के बारे में सावधान रहकर, मजबूत सुरक्षा सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके, और प्रभावी योजना के साथ तैयार रहना चाहिए।
निष्कर्ष
DoS और DDoS अटैक दोनों ही सर्विसेज, सिस्टम्स या वेबसाइट्स के लिए बड़ा खतरा हैं. DoS अटैक तब होता है जब एक ही सिस्टम पर हमला किया गया हो, लेकिन DDoS अटैक में कई सिस्टम पीड़ित पर हमला करते हैं जिससे हमले से बचाव करना मुश्किल हो हो जाता है। ऐसे में रोकथाम-सुरक्षा उपायों और नुकसान के जोखिमों के दौरान इन दोनों साइबर अटैक के बीच अंतर करना बहुत जरूरी है।
DoS का मतलब है डिनायल ऑफ़ सर्विस अटैक। इसमें किसी वेबसाइट या सर्वर को इतना ज़्यादा ट्रैफिक भेजा जाता है कि वह धीमा हो जाता है या बंद हो जाता है। इससे आम यूज़र्स उस वेबसाइट को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाते। यह एक ही कंप्यूटर या सिस्टम से किया जाता है।
DoS अटैक का शिकार छोटे व्यवसाय भी हो सकते हैं। हैकर्स कभी-कभी कम सुरक्षा वाली वेबसाइट्स को निशाना बनाते हैं। इससे वेबसाइट बंद हो सकती है, ग्राहक सेवाएं रुक सकती हैं और नुकसान हो सकता है। छोटे व्यवसायों को भी अपनी वेबसाइट की सुरक्षा मजबूत रखनी चाहिए ताकि ऐसे हमलों से बचा जा सके।
DoS और DDoS अटैक में फर्क यह है कि DoS अटैक एक ही कंप्यूटर से किया जाता है, जबकि DDoS अटैक कई कंप्यूटरों से एक साथ किया जाता है। DDoS ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि इसे रोकना मुश्किल होता है। दोनों का मकसद वेबसाइट या सर्वर को बंद या धीमा करना होता है।
DDoS हमले का पहला चरण होता है बोटनेट बनाना। इसमें हैकर कई कंप्यूटर या डिवाइस को वायरस या मालवेयर से संक्रमित करता है। ये सभी डिवाइस हैकर के कंट्रोल में आ जाते हैं और बोट बन जाते हैं। फिर इन्हीं बोट्स का इस्तेमाल करके एक साथ टारगेट वेबसाइट पर हमला किया जाता है।
DDoS का मतलब है डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल-ऑफ सर्विस अटैक कहा जाता है।
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