आजकल ऑनलाइन का समय आ गया है और हर चीज सोशल हो गई है। ऐसे में एस्ट्रो भी अछूता नही रहा है। अब कुंडली और अपने ग्रह नक्षत्रों के लिए ज्योतिष के चक्र लगाने की जरूरत नही पड़ती क्यूंकि आप अपने लिए ऑनलाइन कुंडली बना सकते है जो अपेक्षाकृत आसान है।
इसके लिए कई ऑनलाइन कुंडली सॉफ्टवेयर उपलब्ध है। अपनी ऑनलाइन जन्म कुंडली बनाने के लिए मांगी गई जानकारी जैसे आपकी जन्म तिथि, आपके जन्म का समय आदि की जरूरत होगी। सही तिथि और समय सटीक भविष्यवाणी की अनुमति देता है।
बाजार में कई ऐप्स उपलब्ध हैं जो 100% सही परिणाम देते हैं। इन्हे इंस्टॉल कर सही जानकारी ले सकते है। ये सॉफ्टवेयर पूरी तरह से मुफ़्त है और वैदिक ज्योतिष का उपयोग करता है। अंग्रेजी के अलावा, यह हिंदी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में जन्म कुंडली-आधारित भविष्यवाणियां और कुंडली मिलान रिपोर्ट प्रदान कर सकता है।
इससे पहले जानते है जन्म कुंडली की विस्तृत जानकारी:
संसार के सारे कार्य ज्योतिष द्वारा ही चलते हैं। ज्योतिष व्यावहारिक ज्ञान कराता है और आकाश के कौन ग्रह-नक्षत्र कहां पर स्थित हैं, उनके बीच की गति क्या है, कितने समय में अपना परिभ्रमण करते हैं किस ग्रह के पास से कब गुजरेंगे, उन ग्रहों में कितनी ज्योति है, उस ज्योति-प्रकाश की गति क्या है और उस प्रकाश का कहां पर किस-किस पर क्या प्रभाव पड़ता है यह सब ज्योतिष के विषय के अन्तर्गत आता है।
पृथ्वी पर सभी औषधियां लता, पौधे चंद्रमा के अनुसार उत्पन्न होते हैं। समुद्र की ज्वार गति भी चन्द्रमा की गति के अनुसार होती है। हर जीव-चराचर पर किस ग्रह का कब, कितना प्रभाव आयेगा, उसके अनुसार उसका स्वास्थ्य निर्भर है।
कुंडली निर्माण के लिए भारतीय ज्योतिष के त्रिस्कन्धान्तर्गत होरा, गणित और संहिता का ज्ञान होना आवश्यक है। गणित और फलित ज्योतिष के दो क्रियात्मक सिद्धांत हैं। जन्म कुंडली के निर्माण के लिए जन्म समय, जन्म स्थान, जन्म दिन, जन्म संवत और उस स्थान के पंचाग का ज्ञान होना आवश्यक है। जन्म पत्री के निर्माण द्वारा व्यक्ति की उत्पत्ति के समय ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति पर से जीनव का सुख-दुख का फल निकाला जाता है।
जन्म कुंजली निर्माण के समय इष्टकाल, भयात-भभोग का साधन, लग्न निर्धारण, ग्रह स्पष्टता और जन्म पत्री लिखने की विधि का ज्ञान अति आवश्यक है। इस भाव स्पष्टता अति आवश्यक है क्योंकि भाव स्पष्ट करने के लिए भी सबसे पहले दशम भाव का साधन करना चाहिए। इसके लिए गणित का ज्ञान आवश्यक है।
ज्योतिष नियम-उपनियम, नत-काल की जानकारी ज्योतिषी को रखनी चाहिये। इसके अलावा द्वादश भावों के नाम, चलित चक्र का ज्ञान, राशि-स्वामित्व का बोध कुंडली फलादेश के लिए आवश्यक है।
एक राशि के नौवें भाग को नवमांश कुंडली कहते हैं। 3 अंश 20 कला का एक नवमांश होता है। एक राशि में नौ राशियों के नवांश होते हैं। नवांश बोधक चक्र पंचांग में लिखे रहते हैं। ग्रह स्पष्ट तालिका का नवांश-बोधक-चक्र में मिलान करके नवांश कुंडली तैयार की जा सकता ही। चर राशि का प्रथम नवांश स्थित राशि का पांचवा नवांश, द्विस्वाभाव राश का अंतिम नवांश वर्गोत्तम कहलाता है।
जातक का जब जन्म हुआ, उस समय पूर्व दिशा में किस राशि का उदायमान था, जिस राशि का समय-काल था वही जन्म लग्न है। जन्म-कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण लग्न ही है। लग्न सही तो कुंडली का फल सही होगा। लग्न साधन के लिए अपने स्थान का उदायमान जानना जरूरी है।
लग्न शुद्धि के लिए शास्त्रानुसार नियम बताये गये हैं उनसे लग्न की बारीकी से जांत करके ही लग्न का निर्धारण कर कुंडली का निर्माण करना चाहिए ताकि फलादेश में शुद्धता रहे। जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं और इनमें से पहला भाव लग्न होता है। लग्न भाव जाक के स्वभाव, चरित्र, गुण, रूचि और विशेषता आदि को दर्शाता है। लग्न भाव के साथ ग्रहों के स्थिति का आकलन ज्योतिष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप सूचना प्रौद्योगिकी के विकास क्रम में आज के समय में व्यक्ति घर बैठे अपनी कुंडली आसानी से बना सकता है। वैदिक परम्परा के अनुसार गणितीय आकलन कर ग्रह-नक्षत्रों का फलादेश देने का कार्य अब इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध सॉफ्टवेयर कर दे रहे हैं।
जातक (वह व्यक्ति जिसका कुंडली निर्धारण हो रहा हो) ऑनलाइन मौजूद सुलभ प्राप्त सॉफ्टवेयर या मोबाइल ऐप्स की सहायता से अपने भविष्य की जानकारी कुछ ही मिनटों में प्राप्त सकता है। इसके लिए उसे अपने जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय की जानकारी दर्ज करनी होती है।
जन्म कुंडली की यह सेवाएं फ्री अथवा कुछ शुल्क के साथ उपलब्ध होती हैं। जिसमें ज्योतिषीय सलाह, परामर्श और पूजा-उपाय भी बताएं जाते हैं।
सूचना क्रांति के युग में ज्योतिष पर लोगों का विश्वास और भी बढ़ रहा है जिसका उदाहरण ऑनलाइन ज्योतिष के मौजूद कुंडली के सॉफ्टवेयर या फिर मोबाइल एप्स के रूप में देख सकते हैं। ऑनलाइन कुंडली सॉफ्टवेयर, कम्प्यूटर के लिए एक डिजीटल गणितीय उपकरण होता है जो कि ज्योतिष विज्ञान में उपयोग होने वाली कुंडली को सरल और सुविधाजनक तरीके से जातक के लिए बेहद कम समय में विवरण को तैयार कर देता है।
सॉफ्टवेयर में जातक के द्वारा जन्म तिथि, समय और स्थान को दर्ज करना होता है, जिसके बाद कम्प्यूटर ज्योतिष आकलन कर ग्रह-नक्षत्रों के सटीक विश्लेषण के साथछ, दशा और योग, होरा कुंडली, द्रेष्काण कुंडली, सप्तांश कुंडली, दशमांश कुंडली, द्वादांश कुंडली, षोडशांश कुंडली, त्रिंशांश कुंडली के साथ दशा निर्धारण भी कर देता है।
ऑनलाइन कुंडली के द्वारा जातक अपने भविष्य के बारे में विमर्श बेहद कम समय में प्राप्त कर सकता है। उचित परामर्श उसके जीवन के पहलुओं जैसे विवाह, कैरियर, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंध, नौकरी-बिजनेस आदि पर प्रभाव डाल सकते हैं। ऑनलाइन जन्म कुंडली के कुछ ख़ास फायदे इस प्रकार हैं:
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फलकथन या फलादेश के लिए कुंडली की प्रक्रिया ज्योतिष का मूल है। कुंडली निर्माण के लिए भारतीय ज्योतिष के त्रिस्कन्थान्गर्गत होरा, गणित और संहिता का ज्ञान होना बेहद आवश्यक है। गणित और फलित ज्योतिष के दो क्रियात्मक सिद्धांत हैं।
जन्म कुंडली के निर्माण के समय जन्म तिथि और समय, जातक की उत्पत्ति के समय के ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति दर्शाता है जोकि जीवन के सुख-दुःख के फलादेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जातक की जन्मकुंडली बनाने के समय़ सबसे पहले जन्म तिथि और समय जितना सही, सूक्ष्म और सटीक होगा, कुंडली निर्धारण के समय फलादेश उतना ही सही होगा। ज्योतिष में जन्म-समय का देशान्तर आदि संस्कार करके भी कुंडली बनती है।
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