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सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है? | Types, Features & Examples in Hindi

सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है? | Types, Features & Examples in Hindi-feature image
25 सितंबर 2025 1 Min पढ़ें

तकनीक की दुनिया में हर रोज़ नए-नए बदलाव हो रहे हैं। कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और अन्य डिवाइस आज हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। हम इन डिवाइसों पर कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। कोई पढ़ाई के लिए, तो कोई मनोरंजन के लिए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सारे कंप्यूटर प्रोग्राम असल में चलते कैसे हैं? उनको चलाने के पीछे जो सबसे अहम भूमिका निभाता है, उसे सिस्टम सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या होता है, इसके प्रकार कौन-कौन से हैं, इसकी ज़रूरत क्यों पड़ती है और हमारे रोज़मर्रा के जीवन में इसका क्या महत्व है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है – System Software Kya Hai

सिस्टम सॉफ्टवेयर एक ऐसा प्रोग्राम है जो कंप्यूटर या मोबाइल जैसे डिवाइस को चलाने और मैनेज करने का काम करता है। इसे आसान शब्दों में समझें तो ये कंप्यूटर का ( मैनेजर ) है, जो हार्डवेयर (जैसे कीबोर्ड, स्क्रीन) और यूजर के बीच कनेक्शन बनाता है। 

उदाहरण के लिए, जब आप कंप्यूटर चालू करते हैं या कोई एप खोलते हैं, तो सिस्टम सॉफ्टवेयर ही हार्डवेयर को बताता है कि क्या करना है। ये बैकग्राउंड में काम करता है और बिना इसके कंप्यूटर बेकार है। जैसे, विंडोज, एंड्रॉयड, या ड्राइवर्स, ये सब सिस्टम सॉफ्टवेयर हैं। इसका काम है सिस्टम को सुचारू रखना, मेमोरी मैनेज करना, और सिक्योरिटी देना।

और जाने: सॉफ्टवेयर क्या है?

सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रकार – System Software Kitne Prakar Ke Hote Hain

सिस्टम सॉफ्टवेयर के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

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1. ऑपरेटिंग सिस्टम –  Operating System in Hindi

ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) कंप्यूटर का सबसे जरूरी सॉफ्टवेयर है। ये कंप्यूटर को ( जिंदा ) रखता है। ये हार्डवेयर (जैसे स्क्रीन, कीबोर्ड, प्रोसेसर) और यूजर के बीच बातचीत करवाता है। OS के बिना आप कोई ऐप नहीं चला सकते, फाइल नहीं खोल सकते। ये मैनेजर की तरह काम करता है जो सबकुछ संभालता है।

मुख्य काम:

  • मेमोरी, प्रोसेसर, और डिवाइस को कंट्रोल करना।
  • फाइल्स को सेव और ऑर्गनाइज करना।
  • सिक्योरिटी देना।
  • कई प्रोग्राम्स को एक साथ चलाना (मल्टीटास्किंग)।
  • यूजर को आसान इंटरफेस देना, जैसे डेस्कटॉप या टच स्क्रीन।

उदाहरण: विंडोज, लिनक्स, एंड्रॉयड, मैकओएस, iOS।

और जाने: ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? प्रकार, विशेषताएँ और कार्य

2. इंटरप्रेटर – Interpreter in Hindi

इंटरप्रेटर एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो प्रोग्रामिंग कोड को लाइन-बाय-लाइन पढ़ता है और उसे तुरंत मशीन की भाषा (0 और 1) में बदलकर चलाता है। ये प्रोग्रामर के लिए मददगार है, क्योंकि अगर कोड में गलती हो, तो तुरंत पता चल जाता है।

मुख्य काम:

  • कोड को एक-एक लाइन में मशीन भाषा में बदलना।
  • तुरंत रिजल्ट दिखाना।
  • कोड में गलतियां ढूंढना।

उदाहरण: पायथन इंटरप्रेटर, जावास्क्रिप्ट इंटरप्रेटर।

3. कंपाइलर – Compiler in Hindi

कंपाइलर भी कोड को मशीन भाषा में बदलता है, लेकिन ये पूरा कोड एक बार में पढ़ता है और उसे एक एक्जीक्यूटेबल फाइल (जैसे .exe) में बदल देता है। ये इंटरप्रेटर से तेज होता है, क्योंकि कोड पहले ही ट्रांसलेट हो जाता है।

मुख्य काम:

  • पूरा कोड एक साथ मशीन भाषा में बदलना।
  • एक्जीक्यूटेबल फाइल बनाना।
  • कोड की सारी गलतियां एक साथ बताना।

उदाहरण: C, C++, जावा के लिए कंपाइलर (जैसे GCC)।

4. असेंबलर – Assembler in Hindi

असेंबलर असेंबली भाषा को मशीन भाषा (0 और 1) में बदलता है। असेंबली भाषा बहुत लो-लेवल होती है, जो हार्डवेयर के करीब काम करती है। ये उन प्रोग्राम्स के लिए है जो डायरेक्ट हार्डवेयर को कंट्रोल करते हैं।

मुख्य काम:

  • असेंबली कोड को मशीन कोड में बदलना।
  • हार्डवेयर प्रोग्रामिंग में मदद करना।

उदाहरण: NASM असेंबलर।

5. फर्मवेयर – Firmware in Hindi

फर्मवेयर वो सॉफ्टवेयर है जो किसी खास हार्डवेयर में पहले से डाला जाता है। ये हार्डवेयर को बताता है कि उसे कैसे काम करना है। ये आमतौर पर बदलता नहीं, लेकिन अपडेट हो सकता है।

मुख्य काम:

  • हार्डवेयर को कंट्रोल करना।
  • डिवाइस की बेसिक सेटिंग्स को मैनेज करना।

उदाहरण: BIOS (कंप्यूटर बूट करने वाला), स्मार्ट टीवी का फर्मवेयर, राउटर का फर्मवेयर।

6. लिंकर  – Linker in hindi

लिंकर अलग-अलग कोड के टुकड़ों (ऑब्जेक्ट फाइल्स) को जोड़कर एक पूरा, चलने वाला प्रोग्राम बनाता है। ये प्रोग्रामिंग में जरूरी है, क्योंकि बड़े प्रोग्राम कई हिस्सों में लिखे जाते हैं।

मुख्य काम:

  • अलग-अलग कोड को जोड़ना।
  • एक एक्जीक्यूटेबल प्रोग्राम बनाना।
  • मेमोरी और एड्रेस को मैनेज करना।

उदाहरण: GNU लिंकर।

और जाने: हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में अंतर

सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर का अंतर

आधारसिस्टम सॉफ्टवेयरएप्लिकेशन सॉफ्टवेयर
उद्देश्यकंप्यूटर को चलाने और उसके हार्डवेयर को मैनेज करने का काम करता है।यूजर की खास जरूरतों को पूरा करता है, जैसे लिखना, गेम खेलना, या इंटरनेट चलाना।
उदाहरणविंडोज, लिनक्स, एंड्रॉयड, iOS, डिवाइस ड्राइवर्स, फर्मवेयर।एमएस वर्ड, गूगल क्रोम, फोटोशॉप, व्हाट्सएप, पबजी।
निर्भरताहार्डवेयर से सीधे जुड़ा होता है और उसे कंट्रोल करता है। बिना इसके कंप्यूटर काम नहीं करता।सिस्टम सॉफ्टवेयर पर निर्भर होता है। OS के बिना ये चल नहीं सकता।
कार्य करने का स्तरलो-लेवल, यानी हार्डवेयर के करीब। ये मशीन की भाषा में काम करता है।हाई-लेवल, यानी यूजर के करीब। इसे यूजर आसानी से देख और इस्तेमाल कर सकता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के फायदे – Benefits of System Software in Hindi

सिस्टम सॉफ्टवेयर के मुख्य फायदे दिए गए हैं, जो इसे इतना जरूरी बनाते हैं:

  1. कंप्यूटर को चलाने में मदद: सिस्टम सॉफ्टवेयर, जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम (विंडोज, लिनक्स, एंड्रॉयड), कंप्यूटर को चालू करने और हार्डवेयर को मैनेज करने का काम करता है। बिना इसके, कंप्यूटर सिर्फ एक बेकार डिब्बा है। 
  2. हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का तालमेल: सिस्टम सॉफ्टवेयर हार्डवेयर (जैसे CPU, मेमोरी, कीबोर्ड) और एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (जैसे MS Word, क्रोम) के बीच कनेक्शन बनाता है। ये हार्डवेयर को बताता है कि यूजर की कमांड को कैसे पूरा करना है।
  3. मल्टीटास्किंग की सुविधा: सिस्टम सॉफ्टवेयर की मदद से आप एक साथ कई काम कर सकते हैं, जैसे गाना सुनना, वर्ड में टाइप करना, और इंटरनेट ब्राउज करना। ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी और प्रोसेसर को इस तरह मैनेज करता है कि सारे प्रोग्राम स्मूथ चलें। 
  4. सिक्योरिटी और प्रोटेक्शन: सिस्टम सॉफ्टवेयर सिस्टम को वायरस, हैकिंग और दूसरी समस्याओं से बचाता है। जैसे, विंडोज में फायरवॉल और एंटीवायरस फीचर्स होते हैं। फर्मवेयर भी डिवाइस को सेफ रखता है। 
  5. आसान यूजर इंटरफेस: सिस्टम सॉफ्टवेयर यूजर को आसान और इंटरैक्टिव इंटरफेस देता है, जैसे टचस्क्रीन, डेस्कटॉप, या कमांड लाइन। इससे कोई भी आसानी से डिवाइस चला सकता है। 
  6. रिसोर्स मैनेजमेंट: सिस्टम सॉफ्टवेयर मेमोरी, प्रोसेसर, और स्टोरेज को सही तरीके से इस्तेमाल करता है। ये सुनिश्चित करता है कि डिवाइस धीमा न हो और ज्यादा से ज्यादा काम कर सके।
  7. कंपैटिबिलिटी और अपडेट्स: सिस्टम सॉफ्टवेयर पुराने और नए हार्डवेयर को सपोर्ट करता है। साथ ही, अपडेट्स के जरिए नए फीचर्स और सिक्योरिटी पैच मिलते रहते हैं।
  8. प्रोग्रामिंग में मदद: इंटरप्रेटर, कंपाइलर, और असेंबलर जैसे सिस्टम सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर को कोड लिखने और चलाने में मदद करते हैं। ये कोड को मशीन की भाषा में बदलते हैं। 
  9. विशिष्ट हार्डवेयर सपोर्ट: फर्मवेयर और डिवाइस ड्राइवर्स जैसे सिस्टम सॉफ्टवेयर खास हार्डवेयर, जैसे प्रिंटर, कैमरा, या राउटर, को चलाने में मदद करते हैं। 
  10. कस्टमाइजेशन: कुछ सिस्टम सॉफ्टवेयर, जैसे लिनक्स, ओपन-सोर्स होते हैं, जिन्हें डेवलपर्स अपनी जरूरत के हिसाब से बदल सकते हैं। इससे डिवाइस को कस्टमाइज करना आसान होता है।

और जाने: Linux क्या है? इतिहास, फायदे और नुकसान

सिस्टम सॉफ्टवेयर की सीमाएँ

  1. जटिलता (Complexity): सिस्टम सॉफ्टवेयर, जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम या ड्राइवर्स, बहुत जटिल होते हैं। इन्हें समझना और मैनेज करना आम यूजर के लिए मुश्किल हो सकता है। 
  2. हाई रिसोर्स की जरूरत (High Resource Usage): कुछ सिस्टम सॉफ्टवेयर, जैसे विंडोज 11, को चलाने के लिए ज्यादा RAM, CPU पावर, और स्टोरेज चाहिए। पुराने या कम पावर वाले डिवाइस पर ये धीमा चल सकता है। 
  3. कंपैटिबिलिटी की समस्या (Compatibility Issues): सिस्टम सॉफ्टवेयर हमेशा हर हार्डवेयर या एप्लिकेशन के साथ अच्छे से काम नहीं करता। जैसे, नया OS पुराने प्रिंटर या सॉफ्टवेयर को सपोर्ट नहीं करता। 
  4. नियमित अपडेट्स की जरूरत (Need for Regular Updates): सिस्टम सॉफ्टवेयर को सिक्योर और अप-टू-डेट रखने के लिए बार-बार अपडेट करना पड़ता है। ये अपडेट्स कभी-कभी सिस्टम को धीमा कर सकते हैं या नई समस्याएँ ला सकते हैं। 
  5. सिक्योरिटी रिस्क (Security Risks): हालांकि सिस्टम सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी देता है, लेकिन ये हैकर्स का टारगेट भी होता है। अगर अपडेट्स न किए जाएँ, तो वायरस या मैलवेयर का खतरा रहता है।
  6. इंस्टॉलेशन और कॉन्फिगरेशन में मुश्किल (Installation and Configuration Challenges): सिस्टम सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करना और सेट करना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर ड्राइवर्स या सेटिंग्स में दिक्कत आए। 
  7. लिमिटेड कस्टमाइजेशन (Limited Customization in Some Cases): कुछ सिस्टम सॉफ्टवेयर, जैसे iOS या विंडोज, में यूजर को ज्यादा कस्टमाइज करने की आजादी नहीं होती। जबकि लिनक्स जैसे ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर में ये आसान है। 
  8. क्रैश और बग्स (Crashes and Bugs): सिस्टम सॉफ्टवेयर में बग्स या गलतियाँ हो सकती हैं, जिससे सिस्टम क्रैश हो सकता है। नए अपडेट्स में भी कभी-कभी बग्स आते हैं। 
  9. लागत (Cost): कुछ सिस्टम सॉफ्टवेयर, जैसे विंडोज या मैकOS, पेड होते हैं। इनका लाइसेंस खरीदना पड़ता है, जो महंगा हो सकता है। हालांकि, लिनक्स जैसे फ्री ऑप्शन भी हैं। 
  10. प्रोग्रामिंग में सीमाएँ (Limitations in Programming): इंटरप्रेटर और कंपाइलर जैसे सिस्टम सॉफ्टवेयर कोड को मशीन भाषा में बदलते हैं, लेकिन इनकी अपनी सीमाएँ हैं। जैसे, इंटरप्रेटर धीमा होता है, और कंपाइलर को पूरा कोड एक साथ चाहिए। 

आज की दुनिया में सिस्टम सॉफ्टवेयर का महत्व

  • शिक्षा में: कंप्यूटर और प्रोजेक्टर सिस्टम सॉफ्टवेयर पर चलते हैं।
  • स्वास्थ्य में: अस्पतालों में स्कैनिंग मशीन और डेटा सिस्टम इन्हीं से नियंत्रित होते हैं।
  • बैंकिंग में: एटीएम, मोबाइल बैंकिंग और कोर बैंकिंग सिस्टम सभी में इसका उपयोग होता है।
  • मनोरंजन में: गेमिंग कंसोल, स्मार्ट टीवी, OTT प्लेटफॉर्म सब इसके बिना असंभव होते।
  • औद्योगिक क्षेत्र में: फैक्ट्री मशीनें और रोबोटिक सिस्टम भी इन्हीं पर काम करते हैं।

निष्कर्ष

सिस्टम सॉफ्टवेयर किसी भी कंप्यूटर या डिवाइस की नींव है। इसके बिना न तो हार्डवेयर काम करता है और न ही एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर। यह ठीक वैसे ही है जैसे इंसान के लिए हवा – ज़रूरी लेकिन दिखाई नहीं देती। कंप्यूटर, मोबाइल, टैबलेट या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का सही उपयोग तभी संभव है जब उसमें सिस्टम सॉफ्टवेयर हो।

सिस्टम सॉफ्टवेयर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल-जवाब

  • एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर में क्या अंतर है?

    सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के संचालन में सहायता करता है जबकि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं जैसे कि पाठ्य संपादन, वेब ब्राउजिंग, गेमिंग आदि के लिए कार्य करता है।

  • कंपाइलर और इंटरप्रेटर में क्या अंतर है?

    कंपाइलर प्रोग्राम के पूरे सोर्स कोड को एक साथ मशीन भाषा में ट्रांसलेट करता है, जबकि इंटरप्रेटर प्रोग्राम की हर लाइन को एक-एक करके पढ़ता है और तुंरत निष्पादित करता है।

  • डिवाइस ड्राइवर क्या है?

    डिवाइस ड्राइवर एक प्रकार का सिस्टम सॉफ्टवेयर है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम को हार्डवेयर डिवाइस (जैसे प्रिंटर, माउस, कीबोर्ड) के साथ संवाद स्थापित करने में मदद करता है।

  • लिंकर्स का कार्य क्या है?

    लिंकर्स का कार्य अलग-अलग ऑब्जेक्ट फाइल्स या कोड को आपस में जोड़कर एक निष्पादन योग्य (Executable) प्रोग्राम बनाना है।

  • फर्मवेयर किसे कहते हैं?

    फर्मवेयर एक विशेष प्रकार का सिस्टम सॉफ्टवेयर है, जो हार्डवेयर में स्थायी रूप से इंस्टॉल रहता है और डिवाइस को चलाने के लिए आवश्यक निर्देश देता है; जैसे– BIOS, राउटर सॉफ्टवेयर।

  • कंट्रोल पैनल का क्या उपयोग है?

    कंट्रोल पैनल कंप्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर की सेटिंग्स को बदलने, कॉन्फ़िगर करने और सिस्टम को नियंत्रित करने का टूल है।

Shobhit Kalra द्वारा लिखित

शोभित कालरा के पास डिजिटल न्यूज़ मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग और हेल्थटेक सहित विभिन्न उद्योगों में 12 वर्षों का प्रभावशाली अनुभव है। लोगों के लिए लिखना और प्रभावशाली कंटेंट बनाने का एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड रहा है जो पाठकों को पसंद आता है। टेकजॉकी के साथ उनकी यात्रा में,... और पढ़ें

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