ज्योतिष क्या है? | Astrology का इतिहास, प्रकार, लाभ और महत्व

Last Updated: August 25, 2025

सारांश: ज्योतिष एक विस्तृत विषय है, इसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है। वैसे तो पंचांग धर्म ग्रंथों के आधार पर ज्योतिष को जाना जा रहा है, लेकिन इसे जानने के लिए सरल माध्यम भी आ गया है। कई ज्योतिषीय सॉफ्टवेयर है जो ज्योतिष के बारे में बताते हैं। जिनमें ज्योतिष कैसे काम करता है बताया जाता है। इस आर्टिकल के जरिये हम आप तक कुछ ज्योतिष से संबंधित विशेष बताने जा रहे हैं।.

ज्योतिष क्या है

भारत में ज़्यादातर घरों में आज भी एक बच्चे के जन्म लेते ही उसकी कुंडली बनवा दी जाती है- ताकि उसके जीवन कि दिशा, संभावनाओं और चुनौतियों को समझा जा सके। यह एक प्राचीन परंपरा है जो बहुत पुराने समय से चलती आ रही है। आजकल के लोग ज्योतिष विद्या का इस्तेमाल न सिर्फ पूजा-पाठ या विवाह के मुहूर्त के लिए करते हैं, बल्की जीवन के कई पहलुओं में मार्गदर्शक के रूप में भी करते हैं। 

ज्योतिष एक ऐसी विद्या मानी जाती है, जिससे आपके जीवन में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी की जाती है। यह एक ऐसा प्राचीन ज्ञान माना जाता है जिसमें ग्रहों, तारों और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर किसी व्यक्ति के जीवन की कुंडली बनाकर उसके भूत, वर्तमान और भविष्य में होने वाली घटनाओं का अध्यन किया जाता है। 

ज्योतिष का इतिहास

ज्योतिष विद्या बहुत ही प्राचीन है। यह न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के हर देश में अलग-अलग परंपराओं के रूप में भविष्य जानने के लिए उपयोग की जाती है। जैसे:

  1. भारत – वैदिक, हस्तरेखा, नाड़ी, कुंडली और कई अन्य आधारों पर भविष्यवाणी की जाती है।
  1. अमेरिका – पश्चिमी ज्योतिष, टैरो कार्ड, न्यू एज प्रथाओं के आधार पर भविष्यवाणी।
  1. चीन – पांच तत्व, पशु चक्र के आधार पर भविष्यवाणी।
  1. अफ्रीका – जनजातीय ज्योतिष और प्राकृतिक संकेतों के आधार पर भविष्यवाणी।
  1. यूरोप – राशि चक्र, ग्रहों की स्थिति  के आधार पर भविष्यवाणी।

ऐसे ही कई अन्य देश हैं, जो अलग-अलग तरीकों से भविष्यवाणी करते हैं।

भारत में ज्योतिष की शुरूआत

भारत में ज्योतिष की शुरूआत करीब 3000 साल पहले वैदिक काल में हुई थी, इसे वेदांग ज्योतिष कहा गया है। 

  1. वेदांग ज्योतिष (करीब 1400-400  BCE )- में ग्रह-नक्षत्रों की गति, पंचांग निर्माण और यज्ञों के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारण का विस्तृत वर्णन है।
  1. ऋगवेद काल ( करीब 1200 BCE या उससे पहले)- ऋग्वेद में सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों के आधार पर समय की गणना के संकेत मिलते हैं।
  1. यजुर्वे काल– इसमें 12 मासों के नाम और नक्षत्रों के आधार पर देवताओं की जानकारी मिलती है।
  1. ऋषियों का योगदान- ज्योतिष की स्थापना में कई ऋषियों का बडा योगदान है। जैसे- महर्षि पराशर,  महर्षि भृगु,  महर्षि नारद, और कई अन्य वशिष्ठ महर्षि।
  1. विदेशी प्रभाव-भारतीय ज्योतिष पर पश्चिमी देशों का बहुत बडा प्रभाव है। इसकी शुरूआत यूनानी ज्योतिष के भारत में आगमन से हुई, जिसके बाद यूनानी और भारतीय ज्योतिष के बीच संस्कृति का आदान-प्रदान हुआ। इसी तरह अन्य देशों का भी प्रभाव पड़ा, जैसे- अरबी-फारसी, मिश्र और बेबीलोन और आधुनिक यूरोपीय।

पश्चिमी देशों में ज्योतिष का इतिहास

  1. मेसोपोटामिया (Babylonia)- (लगभग 1800 BCE पूर्व)- यह पश्चिम देशों में सबसे प्राचीन है, इसमें ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर भविष्य में होने वाली घटनाओं का अंदाज़ा लगाया जाता था।
  2. यूनान (Greek)- इसमें 12 राशियों ( zodiac sign) की स्थापना हुई। और होरॉस्कोप (Horoscopy) यानी व्यक्ति के जन्म समय पर ग्रहों की स्थिति देखकर भविष्यवाणी करना, ग्रीस में प्रचलित हुआ।
  3. अरब ज्योतिष- ग्रीक, फारसी और भारतीय ज्योतिषीय ज्ञान को अरबी भाषा में अनुवाद करके उसे विकसित किया और यूरोप तक पहुँचाया।
  4. आधुनिक युग (20वीं सदी)- मनोवैज्ञानिक ज्योतिष का उदय; कार्ल युंग ने ज्योतिष को आत्म-विश्लेषण से जोड़ा। इसमें Horoscope (राशिफल), Sun Signs (सूर्य राशि आधारित भविष्यवाणी) और Psychological Astrology की शुरूआत हुई।

ज्योतिष के प्रकार

ज्योतिष के कई प्रकार हैं जो अलग-अलग उद्देश्य से भविष्यवाणी करने पर आधारित है। जैसे:

  1. वैदिक ज्योतिष: यह भारत की सबसे पारंपरिक और प्रमुख ज्योतिष विद्या है, इसमें ग्रहों, नक्षत्र, दशा और कुंडली के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है।
  1. हस्तरेखा ज्योतिष: इसमें हाथों की रेखा को पढ़कर उसके आधार पर व्यक्ति के स्वभाव, भाग्य और भविष्य का अनुमान लगाया  जाता है। इसे Palmistry भी कहा जाता है।
  1. गणित ज्योतिष: इस ज्योतिष विद्या में ग्रहों की गति, स्थिति और अन्य क्रमों के माध्यम से भविष्य का अनुमान लगाया जाता है।
  1. अंक ज्योतिष: इसमें किसी व्यक्ति के जन्म तारीख और नाम के अंकों के आधार पर उसके व्यक्तित्व और भविष्य का अनुमान लगाया जाता है।
  1. नाड़ी ज्योतिष: यह दक्षिण भारत की सबसे पुरानी विद्या है। इसमें हथेली की छाप और जन्म विवरण के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है।
  1. कुंडली  ज्योतिष: इसमें किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली और जन्म पत्रिका के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है। इसे सबसे लोकप्रिय विद्या में से एक माना जाता है।
  1. कर्म ज्योतिष: इसमें व्यक्ति की आत्मा की यात्रा और पुनर्जन्म की भविष्यवाणी की जाती है जो इस आधार पर होती है का उस व्यक्ति कर्म और उनके फल क्या है।
  1. प्रश्न ज्योतिष: व्यक्ति से तत्काल पूछे गए सवालों के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है। यह भी बाकी ज्योतिष विद्या की तरह ही काफी प्रसिद्ध है।
  1. ताजिक ज्योतिष: यह ज्योतिष विद्या अरब-फारसी से प्रभावित है। यह प्रश्न कुंडली और वार्षिक फल के लिए काफी प्रसिद्ध है।
  1. टैरो कार्ड ज्योतिष: यह नए ज़माने की सबसे प्रचलित ज्योतिष विद्या है जो कि पश्चिमी देशों से प्रभावित है। इसमें प्रतीकात्मक कार्डों के माध्यम से किसी व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्थितियों का अनुमान लगाता है।

ज्योतिष के प्रमुख अंग

ज्योतिष के पाँच अंग होते हैं, जिन्हें पंचांग कहा जाता है। इनका उपयोग विवाह, यज्ञ, गृह प्रवेश जैसे शुभ मुहुर्त निकालने, व्रत और पर्वों की तिथि जानने में, जन्म कुंडली बनाने में, और दैनिक राशिफल और ग्रहों की स्थिति समझने के लिए किया जाता है।

इन पाँच अंगों के नाम हैं:

  1. तिथि: इसमें चंद्रमा की स्थिति के आधार पर दिनों की गिनती की जाती है। हर दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है। जैसे अमावस्या, पूर्णिमा, एकादशी आदि।
  1. योग: यह सूर्य और चंद्रमा की गति के अनुसार बनने वाले कुछ खात संयोजन होते हैं। यह कुल 27 योग होते हैं, जिनका शुभ-अशुभ प्रभाव माना जाता है।
  1. नक्षत्र: उन तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं, जिनसे चंद्रमा होकर गुज़रता है। यह कुल 27 नक्षत्र होते हैं, इसका उपयोग करके किसी व्यक्ति के स्वभाव, सोच, जीवन की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है।
  1. वार: सप्ताह (सोमवार से रविवार) के किसी एक दिन को वार कहते है। हर वार का संबंध किसी एक ग्रह से होता है। इसके आधार पर यह निश्चित किया जाता है कि कौन सा कार्य किस दिन करना शुभ या अशुभ होगा।
  1. करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं। कुल 11 कर होते हैं, जिनमें से कुछ शुभ माने जाते हैं और कुछ अशुभ। करण का उपयोग व्रत, यज्ञ और शुभ मुहुर्त तय करने के ल्ए किया जाता है।

क्या ज्योतिष विज्ञान है?

भारतीय संस्कृति में ज्योतिष विद्या बहुत ही प्राचीन है, इसे एक पारंपरिक ज्ञान माना जाता है जो ग्रहों और नक्षत्रों की चाल के अनुसार किसी व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाता है। वैज्ञानिक समुदाय ज्योतिष को विज्ञान नहीं मानता है। वह इसे छद्म विज्ञान (pseudo science) मानता है। इसका मतलब है कि इसे वैज्ञानिक रूप से सिध्द नहीं माना जाता है। हालाँकि, कई लोग इसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्तिकोण से जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।

ज्योतिष को विज्ञान क्यों नहीं माना जाता है

ज्योतिष को विज्ञान इसलिए नहीं माना जाता क्योंकि इसे कई तरीकों से असफल माना गया है। जैेसे: 

  1. वैज्ञानिक नतिजों में असफल: जब वैज्ञानिक तरीकों से ज्योतिष की भविष्यवाणी को परखा गया तो वह कई बार गलत पाई गई या उम्मीद से बेहतर नहीं निकली।
  1. वैज्ञानिक प्रक्रिया नहीं: ज्योतिष की भविष्यवाणी किसी भी तरिके से यह साबित नहीं करती है कि ग्रह, नक्षत्र किस तरह से एक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं। जबकी वैज्ञानिक मान्यों में हर सिध्दांत को साबित करने की कोई प्रक्रिया होनी चाहिए।
  1. दोहराने योग्य परिणाम नहीं: ज्योतिष विद्या में हर ज्योतिषी अपने अनुसार अलग-अलग निष्कर्ष निकालता है। जबकि वैज्ञानिक सिध्दांत में हर बार एक जैसा ही परिणाम आता है।

ज्योतिष कैसे काम करता है? | Jyotish Kaise Kam Karta Hai

सनातन से जुड़े प्राचीन मुनियों ने ज्योतिष शास्त्र के विषय में अपने विचार रखते हुआ कहा है जो ज्योतिष को जानता है, वह सब कुछ जानता है। भारतीय संस्कृति का मूलाधार वेद है। वेद से ही हमें अपन धर्म और सदाचार का ज्ञान प्राप्त होता है। हमारी पारिवारिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और दार्शनिक विचारधाराओं के स्रोत भी वेद ही है। भारतीय विद्याएं वेदों से ही प्रकट हुई हैं।
वेदों के छः अंग कहे गये हैं-

  • शिक्षा
  • कल्प
  • व्याकरण
  • निरुक्त
  • छन्द
  • ज्योतिष।

इन्हें षड्-वेदागों की संज्ञा दी गयी है।

ज्योतिष के फलादेश और भविष्य फल के लिए तीन स्कन्धों की बात की जाती है। जिसमें सबसे पहले सिद्धान्तस्कन्ध या गणिततंत्र है, उसके बाद संहितास्कन्ध और फिर होरास्कन्ध या जातकस्कन्ध प्रमुख है। ज्योतिष के तीन स्कन्धों के अनुसार सौर, सावन, नक्षत्र, चंद्र, संवत्सर, चरखंड, छाया, नाड़ी, करण के साथ समष्टि अध्ययन और व्यष्टि का अध्ययन किया जाता है।

इसके अलावा कुंडली और कुंडली के बारह भाव, विंशोत्तरी महादशा, पंचाग, सामुद्रिकशास्त्र, स्वरविज्ञान, शकुनशास्त्र, रत्नविज्ञान और आयुर्वेद भी ज्योतिष से जुड़े हुए हैं और जातक के काल निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ज्योतिष के लाभ

ज्योतिष का मानव जीवन पर कई तरह से प्रभाव पडता है, इससे एक व्यक्ति को कई लाभ हो सकते हैं। जैसे- करियर को चुनने में मार्गदर्शन, रिश्ते को समझने और बहतर बनाने में सहायता, भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना इत्यादि।

इसके कई अन्य लाभ भी हैं, जैसे:

  1. स्वयं को समझना- कुंडली के माध्यम से एक व्यक्ति को अपने स्वभाव, कमजोरियों और क्षमताओं को समझने में मदद मिलती है।
  1. मुहूर्रत निकालना- ज्योतिष के माध्यम से किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ-अशुभ मुहूर्रत की जानकारी लेकर सही दिन का चयन किया जा सकता है।
  1. भविष्य की तैयारी- ज्योतिष हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में सचेत करता है, जिससे हम भविष्य के लिए स्वयं को पहले से तैयार कर सकते हैं।
  1. करियर मार्गदर्शन- ज्योतिष के माध्यम से एक व्यक्ति अपने लिए सही करियर का चयन कर सकता है।
  1. विवाह मार्गदर्शन- कुंडली के माध्यम से वैवाहिक जीवन की अनुकूलता का पता चलता है। जिससे भविष्य में होने वाले तालमेल और मतभेदों का पता चलता है।
  1. स्वास्थ्य संकेत- कुंडली के माध्यम से स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की पहचान की जा सकती है, जिससे हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं।
  1. मानसिक शांति- ज्योतिष कठिन समय में आशा और आत्मबल प्रदान करता है, जिससे मनोवैज्ञानिक संतुलन मिलता है।

क्या ज्योतिष निर्णय लेने का एक अच्छा तरीका है? | Kya Jyotish Sahi Hota Hai

आजकल भविष्य की जानकारी लेना रिवाज हो गया है। कोई हस्तरेखा से, कोई जन्मपत्रिका से, कोई अंक ज्योतिष से तो कोई तांत्रिकों से भविष्य को जानने का प्रयास करता है। कुछ लोग इसे व्यापार बनाकर भ्रमित करते हैं या भविष्य को अंधकारमय बतलाकर भयभीत करते हैं। इनसे सावधान ही रहना चाहिये। जप, ध्यान, स्वाध्याय, ईश्वरभक्ति द्वारा जैसी भी हमारी स्थिति है, उसे आनन्दमय, सुखमय बना सकते हैं।

इसीलिये कहा गया है कि ‘हरि प्रसाद कछु दुर्लभ नाहीं।’ भविष्य को अनुकूल बनाकर संतोष कर प्रतिकूलता में भी अनुकूलता का दर्शन कर सकते हैं। ज्योतिष का यह महत्वपूर्ण कारण हमें आज उसकी प्रबल आवश्यकता की ओर ले जाता है।

कौन सा ग्रह निर्णय लेने का प्रतिनिधित्व करता है?

ज्योतिष में बुध ग्रह को निर्णय लेने और संचार से जुड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। बुध ग्रह की स्थिति का अध्ययन पंचम, नवम, और एकादश भाव से किया जाता है। यहाँ अलग-अलग तत्वों से अलग-अलग तरह की निर्णय लेने की स्थितियां बनती हैं। बुध ग्रह की उपस्थिति विविध प्रकार की निर्णय क्षमता को प्रभावित करती है।

चंद्रमा मन का कारक होता है और इसलिए निर्णय क्षमता में इसकी विशेष भूमिका होती है। इसके अलावा, जो ग्रह मुख्य रूप से शामिल हैं, वे हैं: बुध, चंद्रमा, और बृहस्पति। इन ग्रहों की स्थिति और प्रभाव का अध्ययन ज्योतिष में निर्णय लेने की क्षमता को समझने में मदद करता है।

ज्योतिष और आधुनिक युग AI

आज के समय का ज्योतिष सिर्फ पुरानी परंपराओं तक सीमित नहीं है, यह अब आधूनिक तकनीकों के साथ नया मोड़ लेती जा रही है। इसमें सबसे बड़ा योगदान AI का है।  

  1. गणना की गति-जहाँ पारंपरिक ज्योतिष की गति धीमी और अनुभव के आधार पर होती थी, तो वहीं अब AI से बहुत तेज़ और कुछ सेकंडों में परिणाम मिल जाते हैं। इसकी मदद से कम समय में कुंडली बनाना संभव है।
  1. व्यक्तिगत मार्गदर्शन- पारंपरिक ज्योतिष में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण के आधार पर सुझाव दिए जाते थे, और AI ज्योतिष में एल्गोरिदम आधारित सुझाव दिए जाते हैं।
  1. गहराई और अंतर्दृष्टि-  पारंपरिक ज्योतिष में कर्म, संस्कार, मनोस्थिति पर आधारित भविष्यवाणी जी जाती है, और AI ज्योतिष में केवल जन्म विवरण और गोचर तक सीमित है।
  1. भावनात्मक समझ- पारंपरिक ज्योतिष गहरी, जातक के जीवन से जुड़ी है,  जबकी AI ज्योतिष सीमित, डेटा पर आधारित है।

ऐसे में कई सवाल खडे होते हैं कि क्या AI भविष्य में मानव ज्योतिष को खत्म कर देगा, तो इसका जवाब है नहीं। AI ज्योतिष सिर्फ एक सहायक उपकरण है।  AI सीमित होता है, यह केवल कुछ अंकों और जन्म विवरण पर आधारित होता है। वहीं मानव ज्योतिष एक व्यक्ति केसंस्कार, स्वभाव, व्यवहार, कर्म, मनोस्थिति के आधार पर भविष्यवाणी करता है।

ज्योतिष सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? | Jyotish Software Kaise Kaam Karta Hai

ज्योतिष सॉफ्टवेयर में जातक के जन्म समय, दिन और स्थान की जानकारी डाली जाती है जिसके बाद गणित, होरा और संहिता के आधार पर बना हुआ सॉफ्टवेयर कुछ ही मिनटों में जातक की कुंडली निर्माण ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के साथ दशा-महादशा, विंशोत्तरी दशा, योग-करण, गोचर, चलित तालिका एवं चलित चक्र और भविष्यफल मिल जाता है।

सॉफ्यवेयर में जातक का अतिशुद्ध जन्म समय, स्पष्ट कुंडली निर्माण के साथ भविष्यफल देखने में सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा ज्योतिष सॉफ्टवेयर की मदद से लग्न तालिका, शनि की साढ़े साती, नामकरण सुझाव, सामान्य भविष्यफल, मंगलदोष, कालसर्प दोष, दशाफल विश्लेषण की भी जानकारी मिल जाती है।

लोकप्रिय AI ज्योतिष ऐप्स और उनकी सेवाएं

सॉफ्टवेयर का नामप्रमुख फीचर्सउपयुक्त उपयोगकर्ता
AstroSage Kundliजन्म कुंडली, विवाह मिलान, गोचर, दैनिक राशिफलशुरुआती और सामान्य यूज़र्स
LeoStarउन्नत ज्योतिषीय कैलकुलेशन, पंचांग, दशा, भविष्यवाणीप्रोफेशनल ज्योतिषी
Astrocompविवाह मिलान, ज्योतिषीय रिपोर्ट, वार्षिक भविष्यवाणीविस्तृत कुंडली विश्लेषण चाहने वाले
Future Point LeoStarज्योतिष, अंक ज्योतिष, वास्तु और टैरो टूल्सप्रोफेशनल और स्टूडेंट
Astro-Vision LifeSignमल्टी-लैंग्वेज सपोर्ट, कुंडली निर्माण, राशिफल, मुहूर्तशुरुआती और सामान्य यूज़र्स

सॉफ्टवेयर की मदद से ज्योतिष निर्णय लेने में कैसे मदद कर सकता है?

ज्योतिष में मंत्रोउपासना, रत्नधारण, यंत्र और तंत्र के साथ औषधियों का प्रयोग मनुष्य के कल्याण के लिये बताये गये हैं। सॉफ्टवेयर में भविष्य की जानकारी मिलने पर जातक की कठोर और यातनाप्रद विपत्ति को एक सीमा तक उसी प्रकार अपने अनुकूल बना सकता है, जैसे नक्शा या परिचर पाकर हम किसी नये स्थान की सुगमता से दर्शन कर सकते हैं। भटकाव या दिशा-भेद से बच सकते हैं।

दुनिया में कष्टों की कमी नहीं है तो उपायों की भी कमी नहीं है। बात बस इतनी सी ही है कि हम अपनी विषमता का निदान कैसे और कितना कर सकते हैं। और उसके उपचार करने की ललक और साहस हमारे भीतर कितनी है? सॉफ्टवेयर के द्वारा भविष्य की स्थिति का ज्ञान होने से, अनिष्टकारी फल का ज्योतिष समाधान कर, जातक सही पथ-प्रदर्शन करता है।

ज्योतिष और रिश्ते

ज्योतिष, व्यक्ति के स्वभाव और रिश्तों के जुड़ने के बारे में सरल व्याख्या करता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहों की स्थिति और उनकी गतिविधियां, व्यक्ति के सम्बंधों पर सीधा प्रभाव डालते हैं, जिसका सीधा असर व्यक्ति के रिश्तों पर भी पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, विभिन्न ग्रहों की स्थिति और योग के आधार पर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के रिश्ते बनते हैं और प्रभावित होते हैं। यह रिश्ते विवाह, प्रेम, मित्रता, परिवार, व्यापारिक, और सामाजिक रिश्ते जैसे अनेक प्रकार के हो सकते हैं।

ज्योतिष के अनुसार, व्यक्ति के जीवन में दूसरे व्यक्तियों से जुड़ने के कई तरीके होते हैं। इसमें ग्रहों की स्थिति, योग, और दशाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ज्योतिष में विवाह के लिए कुंडली मिलान की प्रक्रिया होती है। ग्रहों की समान या योग्य स्थिति के व्यक्तियों के बीच अच्छा संबंध बनता है। व्यक्ति के रोमांटिक संबंध भी ग्रहों की स्थिति और योगों के आधार पर उसके जीवन में आते हैं तो वहीं दो व्यक्तियों की दोस्ती भी ज्योतिष में देखी जा सकती है।

काम के क्षेत्र में साझेदारी, उपयोगी संबंध, या प्रोफेशनल संबंध भी ग्रहों के प्रभाव में होते हैं। ग्रहों की स्थिति के आधार पर व्यक्ति के सामाजिक संबंध भी बनते हैं, जैसे परिवार, समुदाय, और समाज के सदस्यों के साथ।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  • एस्ट्रोलॉजी का क्या मतलब होता है?

    ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और उनके प्रभावों के आधार पर व्यक्ति के स्वभाव, भविष्य और घटनाओं का अध्ययन करना एस्ट्रोलॉजी (ज्योतिष) कहलाता है।

  • क्या ज्योतिष सच होता है?

    ज्योतिष संभावनाओं का विज्ञान है। यह आस्था और अनुभव पर आधारित है, लेकिन वैज्ञानिक रूप से पूर्णतः सिद्ध नहीं है।

  • ज्योतिष किसकी देन है?

    ज्योतिष भारत की प्राचीन वैदिक सभ्यता की देन है, जिसे महर्षि पाराशर और अन्य ऋषियों ने विकसित किया।

Published On: August 8, 2024
sai shyam kumar sharma

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sai shyam kumar sharma

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