भारत में व्यवसाय करने के लिए GST (Goods and Services Tax) रिटर्न्स बहुत जरूरी हैं। इनमें से GSTR-1 सबसे महत्वपूर्ण फॉर्म है, जो हर रजिस्टर्ड टैक्सपेयर को भरना होता है। GSTR-1 में आपके द्वारा की गई सभी बिक्री (outward supplies) का विवरण होता है, जो मासिक या त्रैमासिक आधार पर जमा करना होता है।
इस ब्लॉग में हम GSTR-1 के बारे में सरल शब्दों में समझाएंगे, यह बताएंगे कि इसे कौन फाइल करता है और GST पोर्टल पर इसे कैसे आसानी से फाइल किया जा सकता है। चाहे आप नया व्यवसाय शुरू कर रहे हों या पुराने कारोबारी हों, यह गाइड आपके लिए बहुत उपयोगी होगी।
GSTR-1 एक ऐसा रिटर्न फॉर्म है, जिसमें किसी रजिस्टर्ड टैक्सपेयर द्वारा की गई सभी बिक्री (outward supplies) का ब्यौरा होता है। इसमें निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:
यह फॉर्म GST पोर्टल पर ऑनलाइन भरा जाता है। जब आप GSTR-1 जमा करते हैं, तो यह जानकारी अपने आप आपके खरीदारों के GSTR-2A, GSTR-4A या GSTR-6A फॉर्म में दिखाई देती है। इससे आपके खरीदारों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लेने में मदद मिलती है।
हर रजिस्टर्ड टैक्सपेयर, जो बिक्री करता है, उसे GSTR-1 फाइल करना होता है। हालांकि, कुछ लोग इसकी जरूरत से छूटे हुए हैं:
ध्यान दें: अगर किसी महीने या तिमाही में आपकी कोई बिक्री नहीं हुई, तब भी आपको “Nil Return” के रूप में GSTR-1 फाइल करना होगा।
GST पोर्टल पर GSTR-1 फाइल करना बहुत आसान है। नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:
GST पोर्टल पर GSTR-1 फाइल करते समय आपको कई टेबल्स (टाइल्स) दिखेंगी। प्रत्येक टाइल में आपको अपनी बिक्री का विवरण भरना होगा। यहाँ आसान गाइड है:
GSTR-1 फाइल करने की आवृत्ति आपके कारोबार के टर्नओवर पर निर्भर करती है:
टर्नओवर | फाइलिंग प्रकार | अंतिम तिथि |
---|---|---|
₹5 करोड़ से अधिक | मासिक | अगले महीने की 11 तारीख |
₹5 करोड़ से कम (QRMP Scheme) | त्रैमासिक | अगले महीने की 13 तारीख |
नहीं, GSTR-1 को एक बार फाइल करने के बाद संशोधित नहीं किया जा सकता। अगर कोई गलती हो जाती है, तो आपको अगले टैक्स पीरियड में संशोधन (amendment) करना होगा।
GSTR-1 फाइल करने के लिए तीन तरीके हैं:
GSTR-1 में कुल 13 टेबल्स होती हैं, जिनमें अलग-अलग तरह की जानकारी देनी होती है। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
निष्कर्ष
GSTR-1 एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसे सभी GST रजिस्टर्ड व्यवसायों को समय पर और सही तरीके से फाइल करना चाहिए। यह न केवल GST नियमों का पालन करता है, बल्कि आपके खरीदारों को इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने में भी मदद करता है। इससे आपके व्यवसाय की विश्वसनीयता बढ़ती है और जुर्माने से बचा जा सकता है।
ऊपर दी गई गाइड की मदद से आप आसानी से GST पोर्टल पर GSTR-1 फाइल कर सकते हैं। नियमित रूप से अपने इनवॉइस की जांच करें और समय पर रिटर्न फाइल करें, ताकि आखिरी समय की हड़बड़ी से बचा जा सके। सही और नियमित GSTR-1 फाइलिंग आपके व्यवसाय को टैक्स नियमों का पालन करने वाला और कुशल बनाएगी।
हाँ, ऊपर दी गई गाइड का पालन करके कोई भी सामान्य व्यक्ति बिना CA की मदद के GSTR-1 फाइल कर सकता है।
कंपोजीशन स्कीम वाले टैक्सपेयर्स, गैर-निवासी टैक्सपेयर्स और जो बिक्री नहीं करते, उन्हें GSTR-1 फाइल करने की जरूरत नहीं।
GSTR-1 केवल बिक्री (outward supplies) की रिपोर्टिंग के लिए है, खरीद के लिए नहीं।
नहीं, आपको पहले पिछले महीने का GSTR-1 फाइल करना होगा। साथ ही, उसी अवधि के लिए GSTR-3B भी तब तक फाइल नहीं किया जा सकता, जब तक GSTR-1 सबमिट न हो जाए।
अगर आप गलत जानकारी भरते हैं, तो इसे अगले टैक्स पीरियड में संशोधन (amendment) टेबल्स (टेबल 9A, 9C, 10, 11) के जरिए ठीक किया जा सकता है। गलत जानकारी से आपके खरीदारों के इनपुट टैक्स क्रेडिट पर असर पड़ सकता है, इसलिए सावधानी बरतें।
नहीं, वर्तमान में GST पोर्टल का मोबाइल ऐप GSTR-1 फाइल करने की सुविधा नहीं देता। आपको GST पोर्टल की वेबसाइट (https://www.gst.gov.in) का उपयोग करना होगा।
HSN (Harmonized System of Nomenclature) कोड आपके सामान या सेवाओं का वर्गीकरण कोड है। इसे GST पोर्टल पर उपलब्ध HSN कोड लिस्ट से या अपने सामान/सेवा के आधार पर चुन सकते हैं। टेबल 12 में इसका सारांश देना होता है।
DSC केवल कंपनियों और LLP के लिए अनिवार्य है। अन्य टैक्सपेयर्स EVC (Electronic Verification Code) का उपयोग करके OTP के जरिए रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
अगर किसी टैक्स पीरियड में आपकी कोई बिक्री या सप्लाई नहीं हुई, तो आपको निल रिटर्न फाइल करना होता है। यह दर्शाता है कि उस अवधि में कोई लेनदेन नहीं हुआ।
हाँ, GSTR-1 फाइल करने में देरी होने पर प्रति दिन 50 रुपये का जुर्माना (CGST और SGST मिलाकर 100 रुपये) लग सकता है। निल रिटर्न के लिए यह 20 रुपये प्रति दिन (कुल 40 रुपये) है।
आजकल के दौर में जहाँ हर कोई व्यक्ति नई तकनीक पर निर्भर होकर अपना काम… Read More
हम आजकल लगभग हर काम के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, चाहे अपनों… Read More
आज के डिजिटल युग में तकनीक बहुत तेजी से बदल रही है। आपने "क्लाउड कंप्यूटिंग"… Read More
बैंक रिकॉन्सिलिएशन (Bank Reconciliation) अकाउंटिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे हम अपने बुक्स और… Read More
TDS (Tax Deducted at Source) एक ऐसा शब्द है, जिसे आपने अपने वेतन, बैंक ब्याज,… Read More
टैली (Tally) आज के समय में भारत के सबसे लोकप्रिय अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर में से एक… Read More