आज के डिजिटल युग में जब हमारी अधिकांश गतिविधियाँ ऑनलाइन होती हैं, तब इंटरनेट पर डेटा की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता बन चुकी है। चाहे ऑनलाइन शॉपिंग हो, नेट बैंकिंग या ऑफिस का रिमोट वर्क – हर जगह साइबर सुरक्षा का जोखिम बना रहता है।
ऐसे में VPN (Virtual Private Network) एक बेहद उपयोगी टूल साबित होता है, जो आपकी गोपनीयता की रक्षा करता है और आपके इंटरनेट कनेक्शन को सुरक्षित बनाता है। यह लेख आपको बताएगा कि VPN क्या होता है, यह कैसे काम करता है, इसके क्या फायदे हैं और इसे क्यों इस्तेमाल करना चाहिए।
VPN को वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क कहा जाता है, जोकि पब्लिक नेटवर्क का इस्तेमाल करते समय एक संरक्षित नेटवर्क कनेक्शन को स्थापित करता है। वीपीएन आपके इंटरनेट ट्रैफ़िक को एन्क्रिप्ट करता है और आपकी ऑनलाइन पहचान को छिपाता भी है। इससे थर्ड पार्टी के लिए आपकी गतिविधियों को ऑनलाइन ट्रैक करना और डेटा चुराना ज्यादा कठिन हो जाता है। बता दें कि एन्क्रिप्शन रियल टाइम में ही होता है।
जब भी वीपीएन के साथ ऑनलाइन सर्फ करते हैं, तो ये सर्वर आपके डेटा का स्रोत बन जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर(आईएसपी) और अन्य थर्ड पार्टी यह नहीं देख सकते कि आप कौन सी वेबसाइट पर जा रहे हैं या आप कौन सा डेटा ऑनलाइन भेज रहे हैं या हासिल कर रहे हैं। वीपीएन एक फ़िल्टर की तरह काम करता है।
एक वीपीएन कनेक्शन आपके डेटा ट्रैफ़िक को ऑनलाइन छिपाता है और इसे बाहरी पहुंच से बचाता है। अनएन्क्रिप्टेड डेटा को वो सभी लोग देख सकते हैं, जिनके पास नेटवर्क एक्सेस है और वह इसे देखना चाहते हैं। वहीं, वीपीएन के साथ हैकर्स और साइबर अपराधी इस डेटा को समझ नहीं सकते हैं। इसके अलावा भी वीपीएन के कई फायदे होते हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।
आमतौर पर जब आप इंटरनेट से कनेक्ट होते हैं तो आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर आपका कनेक्शन सेट कर देता है। ये आपको आईपी एड्रेस के जरिए ट्रैक करता है। आपका नेटवर्क ट्रैफ़िक आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के सर्वर के जरिये रूट किया जाता है, जो आपके द्वारा ऑनलाइन किए जाने वाले सभी कामों को लॉग और दिखा सकता है।
आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर भरोसेमंद हो सकता है, लेकिन ये आपकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री को विज्ञापनदाताओं, पुलिस या सरकार और/या अन्य थर्ड पार्टी के साथ शेयर कर सकता है। यही नहीं, अगर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को हैक किया जाए तो ये भी साइबर अपराधियों के हमलों का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में आपके व्यक्तिगत और निजी डेटा से समझौता किया जा सकता है।
अगर आप नियमित रूप से पब्लिक वाईफाई नेटवर्क से कनेक्ट करते हैं तो VPN कनेक्शन होना बहुत ही जरूरी है। आप ये नहीं जानते कि आपके इंटरनेट ट्रैफ़िक की निगरानी कौन कर रहा है और वो आपसे क्या चुरा सकते हैं। ऐसे में अगर आप पासवर्ड, पर्सनल डेटा या पेमेंट इनफार्मेशन को अपनी डिवाइस में स्टोर करते हैं और उसमें वीपीएन कनेक्शन नहीं है तो इससे आपकी सारी डिटेल्स बहुत आसानी से चोरी हो सकती हैं।
आपको एक या उससे ज्यादा काम को करने के लिए अपने वीपीएन पर निर्भर रह सकती हैं। वीपीएन खुद को भी किसी तरह के समझौते बचाता है। ऐसे में ये जानना भी बहुत जरूरी है कि आखिर वीपीएन का काम क्या है और इसकी विशेषताएं क्या हैं:
इसे उदाहरण के जरिये समझते हैं। मान लीजिए कि आपको पासवर्ड दर्ज करने के लिए कहा जा सकता है, जिसके बाद आपके मोबाइल डिवाइस पर एक कोड भेजा जाता है। इससे बिन बुलाए थर्ड पार्टीज के लिए आपके सुरक्षित कनेक्शन तक पहुंच मुश्किल हो जाती है।
VPN के प्रकार जानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि विभिन्न प्रकार के VPN आपकी सुरक्षा और नेटवर्क कनेक्टिविटी की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करते हैं।
अक्सर किसी कंपनी के सभी कर्मचारियों के पास कंपनी के लैपटॉप नहीं होते हैं। साल 2020 में कोरोना संकट के दौरान कई कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए पर्याप्त डिवाइस नहीं होने की समस्या का सामना करना पड़ा। ऐसे में अक्सर निजी डिवाइस (पीसी, लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल फोन) का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी स्थिति में कंपनियां एसएसएल-वीपीएन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे आमतौर पर संबंधित हार्डवेयर बॉक्स के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
आमतौर पर एक HTML-5-सक्षम ब्राउज़र की जरूरत होती है, जिसका इस्तेमाल कंपनी के लॉगिन पेज पर कॉल करने के लिए किया जाता है। HTML-5 सक्षम ब्राउजर किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध हैं। एक्सेस को यूजर नेम और पासवर्ड से सुरक्षित रखा जाता है।
साइट-टू-साइट वीपीएन एक प्राइवेट नेटवर्क है जिसे प्राइवेट इंट्रानेट को छिपाने और इन सुरक्षित नेटवर्क के यूजर्स को एक-दूसरे के संसाधनों तक पहुंचने की इजाजत देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अगर आपकी कंपनी के कई लोकेशन पर ऑफिस हैं, जिनमें से हर ऑफिस का अपना लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) से जुड़ा है, तो आपके लिए साइट-टू-साइट वीपीएन काफी काम की चीज है।
साइट-टू-साइट वीपीएन तब भी उपयोगी होते हैं जब आपके पास दो अलग-अलग इंट्रानेट हैं जिनके बीच आप एक इंट्रानेट के यूजर्स के बिना दूसरे इंट्रानेट तक स्पष्ट रूप से पहुंच के बिना फ़ाइलें भेजना चाहते हैं। साइट-टू-साइट वीपीएन का इस्तेमाल मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों में किया जाता है।
क्लाइंट-टू-सर्वर वीपीएन यूजर के डिवाइस (क्लाइंट) और कंपनी के निजी नेटवर्क (सर्वर) के बीच एक सुरक्षित कनेक्शन को कहते हैं। ये रिमोट यूजर्स को इंटरनेट पर फाइल्स, ऐप्स या डेटाबेस जैसे आंतरिक संसाधनों तक सुरक्षित रूप से पहुंचने देता है। क्लाइंट-टू-सर्वर वीपीएन एक्सेस का लाभ अधिक दक्षता और कंपनी के संसाधनों तक यूनिवर्सल पहुंच है।
SSL, Site-to-Site और Client-to-Server VPN की तुलना से यह समझें कि किस प्रकार का VPN आपकी सुरक्षा जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त है।
VPN प्रकार | उपयोग की स्थिति | मुख्य विशेषता | कौन उपयोग करता है? |
---|---|---|---|
SSL VPN | निजी डिवाइस से कंपनी नेटवर्क तक सुरक्षित पहुंच | HTML5 ब्राउज़र से लॉगिन; पासवर्ड आधारित सुरक्षा | कर्मचारी, स्टूडेंट्स |
Site-to-Site VPN | अलग-अलग ऑफिस ब्रांच को जोड़ना | LANs को एक साथ जोड़ता है; स्थायी नेटवर्क कनेक्शन | बड़ी कंपनियाँ |
Client-to-Server VPN | रिमोट लोकेशन से कंपनी सर्वर तक पहुंच | क्लाइंट और सर्वर के बीच सुरक्षित कनेक्शन | वर्क फ्रॉम होम कर्मचारी |
नीचे दी गई तालिका में कुछ बेहतरीन और विश्वसनीय VPN सेवाओं की जानकारी दी गई है, जो आपकी ऑनलाइन सुरक्षा और प्राइवेसी के लिए उपयोगी हैं।
VPN सेवा | प्लेटफ़ॉर्म | प्रमुख फ़ीचर्स |
---|---|---|
ExpressVPN | Windows, Mac, Android, iOS | तेज़ स्पीड, 94 देशों में सर्वर, मजबूत एन्क्रिप्शन |
NordVPN | Windows, Mac, Android, iOS | डबल VPN, थ्रेट प्रोटेक्शन, नो-लॉग पॉलिसी |
ProtonVPN | Windows, Mac, Android, iOS | फ्री प्लान, स्ट्रॉन्ग प्राइवेसी प्रोटेक्शन, ओपन सोर्स |
Surfshark | Windows, Mac, Android, iOS | अनलिमिटेड डिवाइस, किल स्विच, CleanWeb (ads & tracker blocker) |
CyberGhost | Windows, Mac, Android, iOS | यूज़र-फ्रेंडली, 9000+ सर्वर, स्ट्रीमिंग और टॉरेंटिंग के लिए उपयुक्त |
Windscribe | Windows, Mac, Android, iOS | फ्री डाटा (10GB/महीना), फायरवॉल, ब्राउज़र एक्सटेंशन |
Private Internet Access (PIA) | Windows, Mac, Android, iOS | ओपन-सोर्स, मजबूत कस्टमाइजेशन, नो-लॉग पॉलिसी |
अपने कंप्यूटर पर VPN इंस्टॉल करना एक आसान प्रक्रिया है। नीचे स्टेप-बाय-स्टेप तरीका दिया गया है:
निष्कर्ष
एक वीपीएन कनेक्शन आपके और इंटरनेट के बीच एक सुरक्षित कनेक्शन स्थापित करता है। वीपीएन के जरिये आपका सारा डेटा ट्रैफ़िक एक एन्क्रिप्टेड वर्चुअल टनल के माध्यम से रूट किया जाता है। जब आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके आईपी एड्रेस को छिपा देता है, जिससे इसका स्थान सभी के लिए अदृश्य हो जाता है।
एक वीपीएन कनेक्शन बाहरी हमलों के खिलाफ भी सुरक्षित है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एन्क्रिप्टेड टनल में केवल आप ही डेटा तक पहुंच सकते हैं और कोई नहीं कर सकता क्योंकि उनके पास की (चाभी) नहीं है।
VPN कनेक्ट करने के लिए सबसे पहले एक भरोसेमंद VPN ऐप डाउनलोड करें (जैसे – NordVPN, ProtonVPN, etc.)। ऐप इंस्टॉल करने के बाद उसे ओपन करें, सर्वर लोकेशन चुनें और “Connect” बटन पर क्लिक करें। कुछ सेकंड में आपका कनेक्शन सुरक्षित हो जाएगा।
VPN आपके इंटरनेट डेटा को एन्क्रिप्ट करके एक सुरक्षित सर्वर के ज़रिए भेजता है। इससे आपकी IP Address छुप जाती है और आपकी ऑनलाइन गतिविधियाँ सुरक्षित हो जाती हैं। यह सार्वजनिक Wi-Fi पर भी आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
VPN का पूरा नाम Virtual Private Network है। हिंदी में इसे आभासी निजी नेटवर्क कहा जाता है।
हाँ, VPN इस्तेमाल करने से थोड़ी बहुत इंटरनेट स्पीड कम हो सकती है, क्योंकि डेटा को एन्क्रिप्ट किया जाता है और एक तीसरे सर्वर के माध्यम से भेजा जाता है। हालांकि प्रीमियम VPN में यह फर्क बहुत कम होता है।
भारत में VPN का उपयोग कानूनी है, जब तक आप इसे अवैध गतिविधियों (जैसे हैकिंग, साइबर क्राइम) के लिए नहीं करते। निजी सुरक्षा और गोपनीयता के लिए VPN इस्तेमाल करना पूरी तरह वैध है।
फ्री VPN में लिमिटेड स्पीड, कम सर्वर, और सुरक्षा सीमित होती है। पेड VPN तेज, ज्यादा सुरक्षित और ज्यादा सर्वर लोकेशन के साथ आते हैं। साथ ही, पेड VPN यूजर डेटा को लॉग नहीं करते, जिससे आपकी प्राइवेसी बनी रहती है।
हाँ, VPN आपकी असली IP Address को छुपा देता है और आपकी ऑनलाइन पहचान गुमनाम बनाता है। इससे आपकी ब्राउज़िंग, लोकेशन और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित रहता है।
हमेशा भरोसेमंद और नो-लॉग पॉलिसी वाला VPN चुनें। , फ्री VPN के साथ संवेदनशील जानकारी साझा न करें।, पब्लिक Wi-Fi पर VPN ज़रूर इस्तेमाल करें।, VPN को समय-समय पर अपडेट रखें।
भारत में VPN की लागत ₹200 से ₹500 प्रति माह हो सकती है (प्लान और कंपनी के अनुसार)। सालाना सब्सक्रिप्शन लेने पर यह कीमत और भी कम हो जाती है। कुछ अच्छे फ्री VPN विकल्प भी उपलब्ध हैं, लेकिन पेड VPN ज़्यादा सुरक्षित होते हैं।
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